मक्का मुअज़्ज़मा पर बमबारी अमेरीकी फ़ौजी कोलेज में नौजवान ओफ़िसरों को तालीम

वाशिंगटन / अमेरीकी फ़ौज अपने नौजवान ओफ़िसरों को आलम इस्लाम(इस्लामि दुनिया) के ख़िलाफ़ मुकम्मल जंग में फ़तह(काम्याबी) हासिल करने के लिए इस्लाम के मुक़द्दस तरीन(पवीत्र) शहरों पर हीरोशीमा अंदाज़ के हमलों की ज़रूरत की तालीम दे रही है।

ये सदमा अंगेज़ इन्किशाफ़(तकलीफ देने वाली बात) जिस में अमेरीका के मुस्तक़बिल(भवीष्य) के आलासतह के फ़ौजी ओहदादारों को तालीम दी जा रही है कि दुनिया के किसी भी हिस्से में अगर ज़रूरी हो तो शहरी आबादी को भी हमलों का निशाना बनाया जाए और इस का तक़ाबुल ड्रीसडन, टोकीयो, हीरोशीमा और नागासाकी पर दूसरी आलमी जंग(पुरी दुनिया कि जंग) के दौरान(दरमियान) बम्बारी से करना और ये कहना कि एक अरब चालीस करोड़ मुसल्मानों के ख़िलाफ़ फ़ैसलाकुन फ़तह(बडी काम्याबी) के लिए आलम इस्लाम(इस्लामि दुनिया) के दो मुक़द्दस तरीन(पवीत्र) शहरों मक्का मुअज़्ज़मा और मदीना मुनव्वरा पर बम्बारी ज़रूरी है।

अमेरीकी महकमा दिफ़ा(रख्शा) के मशहूर ज्वाइंट फोर्से स्टाफ़ कोलेज नारफ़ोक वर्जीनिया में ये तालीम दी जा रही है। अमेरीकी महकमा दिफ़ा पेन्टागोन ने इस निसाब तालीम की सताइश(तारिफ) की है। एक रिसाला ने 8 हफ़्ता के इस कोर्स की तफ़सीलात हासिल की हैं और उन्हें कल ऑनलाइन शाये किया है।

लेक्चर्स देने वाले फ़ौजी ओहदादार लैफ़्टीनंट कर्नल मैथीयू डोले हैं, जो अब भी कोलेज में बरसर ख़िदमत हैं(पढा रहे हैं)। जिन ओहदादारों ने दौरान ए तर्बीयत(के दरमीयान) उन के एसे लेक्चर्स सुने थे, अब अमेरीकी फ़ौज के आला(उंचे) ओहदों पर हैं।