मुंबई में यूं तो मख़दूश इमारतों से मकीनों का इनख़ला करवाकर उन्हें टरांज़ट कैंप्स में आरिज़ी मकानात फ़राहम करने और नई इमारत की तामीर के बाद दुबारा इसी मुक़ाम पर मुंतक़ली एक आम बात है लेकिन कभी कभी ऐसा भी होता है कि बाअज़ मख़दूश इमारतों के मकीन अपना फ़्लैट ख़ाली करने तैयार नहीं होते।
ऐसा ही वाक़िया यहां के जोही इलाक़ा में वाके एक मख़दूश इमारत का भी है जहां एक ख़ातून किरायादार स्थिर मनीकम जो अरसा-ए-दराज़ से सिर्फ़ 50 रुपये माहाना किराया अदा कररही है लेकिन मकान मालिक की जानिब से इनख़ला-ए-केलिए एक करोड़ रुपये की पेशकश के बावजूद अपना फ़्लैट ख़ाली करने तैयार नहीं है।
बी एम सी ने इमारत के गिराने के लिए नोटिस जारी करदी है और इमारत के तमाम मकीन खाली करचुके हैं सिवाए मज़कूरा ख़ातून के। बी एम सी ने इस इमारत को मख़दूश क़रार देते हुए इंतिहाई ख़तरनाक क़रार दिया है जो किसी भी वक़्त गिर सकती है और इस सिलसिले में जस्टिस अनूप मेहता ने बी एम सी की नोटिस के तनाज़ुर में इमारत की वाहिद किरायादार को कोई राहत फ़राहम करने से इनकार कर दिया है।
जस्टिस मेहता ने कहा कि मख़दूश इमारत के सिर्फ़ एक फ़्लैट के किरायादार की वजह से इमारत के मालिक को इमारत की मुरम्मत की इजाज़त नहीं दी जा सकती और ख़ुद मालिक भी ये नहीं चाहता। जज ने पहले से जारी किए गए इनख़ला-ए-के हकनामा का हवाला भी दिया कि अगर कोई किरायादार रज़ाकाराना तौर पर फ़्लैट का इनख़ला-ए-नहीं कररहा है तो उसे जबरी तौर पर भी मकान ख़ाली करवाने पर मजबूर किया जा सकता है।