मक्का मुअज़्ज़मा इमाम काअबा-ओ-ख़तीब शेख सालिह अलतालेब ने हुज़ूर अक़्दस ई की शान में गुस्ताख़ी के वाक़ियात पर मग़रिबी ममालिक(देशो) की ख़ामोशी की मुज़म्मत(सख्ती) करते हुए कहा कि इन की ये हरकत गैर मुंसिफ़ाना और दोगली पॉलीसी का मज़हर है ।
ये ममालिक(कई देशो का) इज़हार ख़्याल है कि आज़ादी का मतलब मुख़्तलिफ़(दुसरे) निकालते हैं जब इसी इज़हार ख़्याल के लोग यहूदीयों के क़तल-ए-आम की तरदीद(सख्ती) करते हैं तो ये माखामी उन अफ़राद का तआक़ुब(पीछा) कर के उन्हें सज़ा देने की कोशिश करते हैं । हुज़ूर ई की शान में गुस्ताखाना हरकत करने वालों को खुली छूट दी जाती है ।
शेख सालिह अलतालेब ने मुस्लमानों को मग़रिबी(यूरोप) साज़िश से चौकन्ना रहने का मश्वरा देते हुए कहा कि वो गुस्ताखाना कार्यवाईयों पर जज़बात का इज़हार करने के लिये तशद्दुद(ज़ुल्म) का रास्ता इख़तियार ना करें । नफ़रत फैलाने और दिला ज़ारी करने वाले अनासिर इस्लाम के ख़िलाफ़ मुनज़्ज़म(सख्ती) साज़िश में मुलव्वस(शामिल) हैं