मजहब तब्दील पर सियासत

मुल्क भर में इन दिनों मजहब तब्दील का मुद्दा गरमा गया है। अब बिहार में भी इस पर सियासत होने लगी है। इस मुद्दे पर मुखतलिफ़ सियासी पार्टियों के सरबराह से बातचीत।

भाजपा बताये, कौन करा रहा मजहब तब्दील

पूरे मुल्क में मजहब तब्दील का खेल चल रहा है। बिहार में अगर मजहब तब्दील की बात हो रही है, तो इसमें कोई नया नहीं है। मरकज़ में जो भाजपा की हुकूमत आयी है, वही बताये कि यह सब कौन कर रहा है और क्यों कर रहा है.

राबड़ी देवी, साबिक़ वजीरे आला

लालच देकर मजहब तब्दील ठीक नहीं

जबसे मरकज़ में भाजपा की हुकूमत आयी है, तब से मजहब तब्दील की ज्यादा बहस हो रही है। किसी को पांच लाख, तो किसी को दो लाख रुपये का लालच देकर मजहब तब्दील कराने की बात हो रही है। इस तरह लालच देकर गरीबों के लिए रास्ता खोल दिया गया है। सब कुछ पैसा की ताक़त पर हो रहा है। मजहब तब्दील किसी मजहब में यकीन की वजह से हो तो सही है, लेकिन किसी लालच, दबाव या में मजहब तब्दील करना और कराना सही नहीं है।

अब्दुल बारी सिद्दीकी
राजद एमएलए दल के लीडर

वजीरे आला ने दिये जांच के हुक्म

वजीरे आला जीतन राम मांझी ने कहा कि गया में मजहब तब्दील के मामले के उन्होंने जांच के हुक्म दे दिये हैं। उन्होंने ऐसी बातें सुनी हैं। अगर कोई अपनी मर्ज़ी से किसी मजहब को मानने के लिए जाता है, तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन, अगर किसी ने पैसे से या फिर किसी दबाव में मजहब तब्दील किया है, तो यह गलत है। गया के जिला अफसर को जांच के लिए कहा गया है। अब उनकी जांच रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई की जायेगी। वजीरे आला ने यकीन दिया कि अगर इसमें आला सतही जांच की भी जरूरत पड़ी, तो वो भी कराया जायेगा।

रियासती हुकूमत की नाकामयाबी : भाजपा

एसेम्बली में मुखालिफत पार्टी के अरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि मजहब तब्दील रोकने के लिए सख्त कानून बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई सख्श अपनी ज़ात या मजहब खुद नहीं छोड़ना चाहता है, लेकिन हुकूमत की मंसूबों का फाइदा जब उन तक नहीं पहुंचता है, तब वैसे खानदान के पास कोई चारा नहीं बचता और वह उस हालात की वजह से मजहब तब्दील करता है। यह रियासती हुकूमत की नकामयाबी की वजह है कि गया, बेगूसराय, भागलपुर वगैरह कई जगहों पर बड़ी तादाद में लोग मजहब तब्दील कर रहे हैं। उधर, भाजपा के वज़ीर सुधीर कुमार शर्मा ने कहा कि बोधगया में 40 एससी खानदानों के सौ लोगों की तरफ से ईसाई मजहब कुबूल करने पर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद चुप क्यों हैं? जब इसलाम या ईसाई से कोई हिंदू मजहब अपनाता है, तो तमाम सेकुलर पार्टियों के लीडर हाहाकार मचाते हैं।
जब सनातन मजहब का कोई हिस्सा कमजोर होता है, तब ये चुप हो जाते हैं। जदयू-राजद-कांग्रेस जैसे दलों की सेकुलर का मतलब हिंदू मुखालिफत होता है।