रियासत में मदरसा की डिग्री, जैक और यूनिवर्सिटी के बराबर होगी। दोनों की डिग्री की मंजूरी को लेकर तशकील कमेटी ने इसे मंजूरी दे दी है। इसके लिए वजीरे आला की हिदायत पर आला तालीम डाइरेक्टर डॉ डीएन ओझा की सदारत में कमेटी की तशकील किया गया था। कमेटी में जैक सदर के अलावा रांची यूनिवर्सिटी के उर्दू और संस्कृत महकमा के ज़ाती महकमा को भी शामिल किया गया था। कमेटी ने गुजिशता हफ्ताह इसे अपनी मंजूरी दे दी है और तजवीज को आगे की कार्रवाई के लिए मुतल्लिक़ महकमा को सौंप दिया। फिलहाल मदरसा की डिग्री की तस्लीम नहीं होने की वजह तालिबे इल्म को आला तालीम हासिल करने में काफी परेशानी होती है। वे पीएचडी, सीटेट, नेट जैसी इम्तिहान में शामिल नहीं हो पाते हैं।
इन डिग्रियों को मिलेगी मंजूरी
कमेटी ने मदरसा के फोकानियां को (10वीं) मैट्रिक, मौलवी को इंटर आर्ट्स, आलिम को बीए के बराबर डिग्री की मंजूरी देने की सिफ़ारिश की है। इसके अलावा संस्कृत, शास्त्री और उपशास्त्री की डिग्री को भी बराबर का दर्जा दी जायेगी। काबिले ज़िक्र है कि मौजूदा में मदरसा और संस्कृत दोनों की इम्तिहान झारखंड एकेडमिक उंसिल द्वारा ली जाती है।
कंपीटीशन दे सकेंगे
मदरसा और संस्कृत की डिग्री की तस्लीम नहीं होने की वजह से तालिएब इल्म को काफी परेशानी होती थी। वे तकर्रुरी इम्तिहान में शामिल नहीं हो पाते थे। दूसरे रियासतों में तालिबे इल्म का दाख्ला भी नहीं हो पाता है। डिग्री की बराबर तस्लीम के बाद तालिबे इल्म आईपीएस सर्विस समेत बैंक, रेलवे और मरकज़ी हुकूमत की दीगर इम्तिहान में शामिल हो सकेंगे।