रियासत के मदरसा और संस्कृत स्कूलों के असातिज़ा को हुकूमत पेंशन देगी। फायनेंस महकमा के सिफ़ारिश के साथ तालीम महकमा के इस तजवीज को कैबिनेट की बैठक में रखा जायेगा। वजीरे आला की हिदायत के बाद ही इससे मुतल्लिक़ तजवीज तैयार किया गया था। हुकूमत के इस फैसले से रियासत के 186 मदरसे और 66 ग्रांट संस्कृत स्कूलों के करीब पांच हजार असातिज़ा और मुलाज़िमीन को फायदा होगा।
ये असातिज़ा पेंशन और ग्रेच्युटी की मुतालिबा काफी दिनों से कर रहे थे। बातचीत के दौरान सीएम ने जल्द फैसला लेने का यकीन दिया था। इससे मुतल्लिक़ तजवीज को मंजूरी के बाद फायनेन्स महकमा को भेजा गया था। फायनेंस महकमा ने कई नुक्तों पर सुझाव दिये हैं। इन सुझावों पर अब कैबिनेट में ही फैसला लिया जायेगा। तालीम महकमा ने इसे अब सीधे कैबिनेट की बैठक में रखने का फैसला लिया है।
200 तालिबे इल्म पर ग्रांट
मदरसों के ग्रांट पर भी कैबिनेट में फैसला लिया जायेगा। साबिक़ में इंटर सतह के मदरसा को ग्रांट के लिए तालिबे इल्म की तादाद कम से कम 200 मुकर्रर की गयी थी। कैबिनेट की बैठक में इस पर एक वज़ीर ने एतराज़ जतायी थी। इसके बाद तालिबे इल्म की कम अज़ कम तादाद 150 करने की बात कही गयी थी। तालीम महकमा ने इस सिलसिले में कानून महकमा से राय मांगी थी। कानून महकमा ने तालिबे इल्म की साबिक़ की तादाद के मुताबिक की ग्रांट देने का सुझाव दिया। तालीम महकमा ने अब फिर से 200 तादाद की बुनियाद पर ही ग्रांट देने की तजवीज कैबिनेट में भेजा है।
मदरसा असातिज़ा की रीटाइर्ड की उम्र 62 साल है, जबकि सरकारी मुलाज़िमीन की रीटाइर्ड की उम्र 60 साल है। इस वजह से मदरसा असतीजा को पेंशन देने में तकनीकी अड़चन आ रही है। ऐसे में मदरसा असातिज़ा की रीटाइर्ड की उम्र घटा कर उन्हें पेंशन का फाइदा दिया जा सकता है। इस पर अब कैबिनेट फैसला लेगी।