मदरसा सबसे कम पैसों में तालीम देनेवाला एक अहम मर्कज़ है। क्योंके आज के महंगाई के दौर में तालीम भी महंगी होती जा रही है। वैसे सूरत में मदरसा उम्मीद की एक नयी किरण हैं और इसमें गैर मुस्लिम तालेबा व तालेबात को भी तालीम देने का निज़ाम किया गया है। इससे कबल भी गैर मुस्लिम बच्चों ने मौलवी के इम्तेहान में सेकंड टॉपर होने का एज़ाज़ हासिल किया है।
मेरी कोशिश रही है के तालीम खिदमत के ज़रिये बिहार को तरक़्क़ी याफ़्ता रियासत बनाया जाये। मज़कुरह बातें चैयरमैंन बिहार स्टेट मदरसा एजुकेशन बोर्ड मुमताज़ आलम ने अपने दफ्तर मे यूनिट हेड प्रदीप कुमार सिन्हा के साथ बातचीत करने के दौरान कहें। उन्होने कहा के मैं जब बिहार स्टेट मददरसा एजुकेशन बोर्ड में चेयरमैंन का ओहदा सँभाला तो मुझे मालूम था के ये काँटों का एक ताज है। और सँभल कर चलना है। शुरूआती दिनों में परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन मुझे अपने रब पर भरोसा था। मैंने अपने काम पर यकीन रखता हूँ। अल्लाह की मदद मेरे साथ रही जिस मिशन के तहत मैंने इस ओहदे को सँभाला था उस मिशन में कामयाब मिली है।
मेरा मक़सद यही है के रियासत के तमाम मदरसे जदीद तालीम के ज़रिये न सिर्फ तलबा व तालेबात के मुकद्दर को सँवारने मे अपनी खिदमत पेश करें बल्कि ईमानदारी के साथ अपने फ्रायज़ को अंजाम देते हुये रियासती हुकूमत की हाथों को मजबूत करें।