उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में मदरसे में तालीम हासिल कर रहीं गांवों और पिछड़े इलाकों की तालिबात को अब हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी की भी तालीम दी जाएगी|
इसका इंतजाम ख्वातीन के लिए काम रही तंज़ीम ‘चिराग फाउंडेशन’ ने किया है| मौजूदा सेशन में मदरसे की बच्चियां हिंदी और अंग्रेजी का कोर्स भी पढ़ेंगी|
इस पहल का शहर के लोगों ने इस्तेकबाल किया है. शहर के पिछड़े इलाके खाईपार में कई सालों से मदरसा चल रहा है| चिराग फाउंडेशन की सदर डॉ. शबाना रफीक ने अब मदरसे की तालिबात को हिंदी और अंग्रेजी की तालीम लेने के लिये हौसला अफ्ज़ाई करने के लिए तालिबात को इन दोनों स्ब्जेक्ट की किताबों समेत दिगर किताबें, कापी तक्सीम की हैं|
अक्लीयती फिर्के की लड़कियों को जदीद तालीम से जोड़ने की इस मुहिम में अब समाज के मुख्तलिफ लोग भी अपना ताऊन दे रहे हैं| डॉ. शबाना और शहर की डॉ.मोनिका सक्सेना (Gynecologist) ने एक प्रोग्राम में लड़कियों को सफाई और सेहत के बारे में बताया और उन्हें साफ-सुथरा रहने के लिए हौसला अफ्ज़ाई की |
वहीं, डॉ. सबीहा ने तालिबात से कहा कि न सिर्फ दीनी तालीम, बल्कि हिंदी, अंग्रेजी व दिगर सब्जेक्ट में भी महारत हासिल कर रोजगार पाएं और इक्तेसादी तौर से खुद क़फील बनें|