मदर‌सा तालीमी बोर्ड की अदम तश्कील पर हुकूमत से जवाबतलबी

इलाहाबाद हाईकोर्ट की डविझन बेंच जो जस्टिस इमतियाज़ मुर्तज़ा, जस्टिस डी के उपाध्याय पर मुश्तमिल थी ने रियास्ती हुकूमत को एक बेहद सख़्त हुक्म देते हुए हुकूमत को हिदायत दी है कि वो 7 अक्टूबर को फ़ाज़िल बेंच को बताए कि आख़िर उसने अठारह महीने से इस आईनी इदारा की तशकील नौ क्यों नहीं की?

उस की तशकील नौ में आख़िर क्या रोकावट‌ है। मफ़ाद-ए-आम्मा की रिट हाईकोर्ट के एडवोकेट फ़ारूक़ अहमद ने दाख़िल की थी। उन्हों ने अपनी बहस में कहा कि मदरसा तालीमी बोर्ड के आईनी इदारा की तशकील के लिए रियास्ती हुकूमत 2004 में क़ानून वज़ा किया था जिसके तहत मदरसा तालीमी बोर्ड में चेयरमेन, नायब चेयरमेन के इलावा मुतअद्दिद मिम्बरान जिन में शीया और सुन्नी तबक़ा के मिम्बरान एसेंबली भी होते हैं ये बोर्ड अरबी , उर्दू, फ़ारसी के तलबा के इमतिहानात , उन की अस्नाद वग़ैरह के इंतिज़ाम करते है।

मदरसा तालीमी बोर्ड के तहत मुतअद्दिद मदरसे होते हैं जिन की देख भाल भी उसी बोर्ड के ज़िम्मा होती है। अखिलेश यादव हुकूमत ने यू पी मदरसा बोर्ड को अपनी हुकूमत की हलफ़ बर्दारी 16 मार्च 2013 को खतम कर‌ दिया था तब से अब तक उसने बोर्ड की तशकील नौ नहीं की है जबकि इस मुआमला में रियास्ती हुकूमत को एक से ज़ाइद मर्तबा अव्वामी अर्ज़दाश्तें भी दी जा चुकी हैं लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।