मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मारे गए सिमी सदस्य के सहयोगी की जमानत याचिका ख़ारिज की

भोपाल / जबलपुर: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (MPHC) ने गुरुवार को संदिग्ध सिमी सदस्य मोहम्मद साजिद उर्फ शेरू की जमानत याचिका लगातार तीसरी बार खारिज कर दी है।

उज्जैन निवासी साजिद को आठ अन्य लोगों के साथ जून 2011 में जबलपुर और भोपाल से मध्य प्रदेश एटीएस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। इन आठ लोगों में गुड्डू और शेख मुजीब भी शामिल थे, जो सोमवार को जेल से भागने के बाद पुलिस के हाथों मारे गए।

साजिद को “ऑपरेशन विजय” नाम के एक ऑपरेशन में मध्य प्रदेश एटीएस ने सिमी के सदस्यों के साथ जबलपुर में राजा चौक के पास अहमदनगर मोहल्ला से गिरफ्तार किया था। उस पर पिपलिया मंडी, मंदसौर जिले में डकैती करने का आरोप लगाया गया था।

उन्होंने शेख मुजीब (गुजरात), असलम (खंडवा) और हबीब (उज्जैन) के साथ जबलपुर से गिरफ्तार किया गया था, जबकि अबू फैजल (मुंबई), इक़रार (उज्जैन), महबूब (खंडवा) और एजाजुद्दीन (करेली) को भोपाल से गिरफ्तार किया गया था।

एटीएस ने दावा किया है कि साजिद सिमी सहानुभूति रखता था और युवाओं के बीच इसकी विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया करता था। बाद में वह इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) से जुड़ गया था और वहां उसे इंडियन मुजाहिदीन के कार्यों के लिए धन जुटाने की ज़िम्मेदारी दी गयी थी।

उसके वकील पवन गुर्जर का कहना है कि साजिद एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है और उसके पिता अपाहिज हैं। साजिद, जिसे बिना किसी ठोस सबूत के गिरफ्तार किया गया है, वह अपने परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य था। उसके परिवार में माता-पिता, तीन अविवाहित बहनें और एक बीमार दादी के भरण पोषण के लिए वह ही ज़िम्मेदार था।

उसकी पहली जमानत याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को आदेश दिया था की एक महीने के भीतर आरोप तय किये जाने के बाद 15 महीने के भीतर ट्रायल समाप्त किया जाए। दूसरा आवेदन जनवरी 20, 2016 को जारी हुए एक आदेश के कारण खारिज कर दिया गया था।