मनमोहन के कार्यकाल में सबसे ज्यादा हुई 10.08 प्रतिशत वृद्धि दर: रिपोर्ट

देश की आर्थिक वृद्धि दर का आंकड़ा 2006-07 में 10.08 प्रतिशत रहा जो कि उदारीकरण शुरू होने के बाद का सर्वाधिक वृद्धि आंकड़ा है. यह आंकड़ा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल का है. आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है. आजादी के बाद देखा जाए तो सर्वाधिक 10.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर 1988-89 में रही. उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा गठित ‘कमेटी आफ रीयल सेक्टर स्टैटिक्स’ ने पिछली श्रृंखला (2004-05) के आधार पर जीडीपी आंकड़ा तैयार किया. यह रिपोर्ट सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी की गयी है.

सर्वाधिक वृद्धि दर

रिपोर्ट में पुरानी श्रृंखला (2004-05) और नई श्रृंखला 2011-12 की कीमतों पर आधारित वृद्धि दर की तुलना की गयी है. पुरानी श्रृंखला 2004-05 के तहत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर स्थिर मूल्य पर 2006-07 में 9.57 प्रतिशत रही. उस समय मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. नई श्रृंखला (2011-12) के तहत यह वृद्धि दर संशोधित होकर 10.08 प्रतिशत रहने की बात कही गयी है.

साल 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव की अगुवाई में शुरू आर्थिक उदारीकरण की शुरूआत के बाद यह देश की सर्वाधिक वृद्धि दर है.

रिपोर्ट के बाद कांग्रेस पार्टी ने ट्विटर पर लिखा है, जीडीपी श्रृंखला पर आधारित आंकड़ा अंतत: आ गया है. यह साबित करता है कि यूपीए शासन के दौरान (औसतन 8.1 प्रतिशत) की वृद्धि दर मोदी सरकार के कार्यकाल की औसत वृद्धि दर (7.3 प्रतिशत) से अधिक रही. पार्टी ने कहा कि यूपीए सरकार के शासन में ही वृद्धि दर दहाई अंक में रही जो आधुनिक भारत के इतिहास में एकमात्र उदाहरण है. रिपोर्ट के अनुसार बाद के सालों के लिये भी जीडीपी आंकड़ा संशोधित कर ऊपर गया है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने इन आंकड़ों के संग्रह, मिलान और प्रसार के लिये प्रणाली तथा प्रक्रियाओं को मजबूत करने हेतु उपयुक्त उपायों का सुझाव देने के लिये समिति का गठन किया था.