मनरेगा में बदउन्वानी का इन्कशाफ़

सीएजी ने महात्मा गाँधी कौमी देहि रोजगार गारंटी (मनरेगा) मंसूबा के नफाज़ में बदउन्वानी का खुलासा करते हुए रियासती हकुमत की जमकर मज़म्मत की है। सीएजी ने बिहार के 15 अजला के 54 ब्लाकों के 250 ग्रामपंचायतों के फायलों की जाँच की है। जिस में कई तरह की बदउन्वानियों का इन्कशाफ़ हुआ है। मनरेगा मजदूरों को साल में 100 दिन की औज़ औसत 7 दिन काम मिल रहे है। रियासती हुकूमत वक़्त पर बजट तैयार नहीं कर पाती है। मरकज को 70 से 128 दिन ताखीर से बजट भेजे गए जिस के सबब बिहार को 1684.24 करोड़ रूपये का ग्रांट लेने से महरूम होना पड़ा है। हिंदुस्तान की सीएजी के जरिये असेंबली में पेश की गयी।

रिपोर्ट के मुताबिक रियासत में मनरेगा के तहत माली साल 2006-07 से लेकर माली साल 2011-112 तक कुल 8184.26 करोड़ रूपये जारी किये गए जिस के औज़ 8110.84 करोड़ रूपये ही खर्च किये गिये और 31 मार्च 2012 के एखतताम पर 73.42 करोड़ रूपये बच गए।

देहि हलकों में 1.34 कुनबों को जॉब कार्ड दस्तयाब कराये गए हैं। उनमें से सिर्फ 35 फिसद कुनबों को ही काम मुहैया कराये गए हैं। उनमें से सिर्फ 7 फिसद कुनबों को ही साल में 100 दिन काम दस्तयाब कराए गए हैं। जबके मनरेगा की तजवीज के तहत 100 दिन काम दस्तयाब करना लाज़मी है। रियासत में मेहनत का बजट तैयार करने में मजदूरों की तादाद को भी तवज्जो नहीं रखा जाता है । जरुरत से ज्यादा मेहनत का बजट तैयार किया जाता है। इस के साथ ही वक़्त पर मेहनत का बजट भी तैयार नहीं हो पता है इस से भी रियासत को गुजिश्ता 5 बरसों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है और तकरीबन हज़ार करोड़ रूपये का ग्रांट लेने से बिहार को महरूम रहना पड़ा।

6 अज़ला औरंगाबाद, बांका, दरभंगा, मधुबनी, मुंगेर और नालंदा जिला में 3.76 करोड़ रूपये सालाना काम के मंसूबा से बहार के मंसूबों पर खर्च किये गए हैं जो पूरी तरह से जाब्ता के खिलाफ है इस पर सीएजी ने सवाल उठाये हैं। रियासत में रजिस्टर्ड कुनबों को बढ़ाकर महकमा को रिपोर्ट किया गया है इस के साथ ही एक कुनबा को एक से ज्यादा जॉब कार्ड जारी कर दिए हैं। 82 ग्रामपंचायतों के कुल कुनबों की तादाद से 40304 जायद जॉब कार्ड दिखलाये गए हैं। इस के साथ ही 50 ग्रामपंचायतों में कुनबों की तादाद से दोगुना जॉब कार्ड जरी कर दिया गया है।