महबूबनगर 05 जुलाई: मनासिक हज दरअसल ईसार-ओ-क़ुर्बानी का अमली पैग़ाम है। इस पर अमल आवरी से ना सिर्फ़ फ़रीज़ा हज अदा होगा बल्कि ईसार-ओ-क़ुर्बानी के जज़बा के तहत हुक़ूक़ उल-ईबाद की अदायगी की राह भी हमवार होगी।
इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना हाफ़िज़ ख़्वाजा फ़ैज़ उद्दीन नक़्शबंदी ने लब्बैक हज सोसाइटी महबूबनगर के ज़ेर-एएहतेमाम रॉयल फंक्शन हाल महबूबनगर में मुनाक़िदा हज तर्बीयती इजतेमा को मुख़ातब करते हुए किया।
आज़मीन-ए-हज्ज को मुबारकबाद पेश करते हुए मौलाना ने कहा कि आज़मीन-ए-हज्ज-ओ-उमरा अल्लाह और उस के रसूल(PBUH) के मेहमान होते हैं।
मनासिक हज का तफ़सीली ज़िक्र करते हुए मौलाना ने कहा कि जिस तरह अल्लाह की रज़ा की ख़ातिर हज़रत हाजिरा ने अपने शौहर हज़रत इबराहीम(RA) के हुक्म पर बे आब-ओ-गयाह की वादी में रहने और ख़ुद हज़रत इबराहीम(RA) अपने बेटे हज़रत इसमईल(RA)को ज़बह करने तैयार होगए और जिस तरह एक बेटा बाप के हुक्म की तामील में अपने आप को क़ुर्बान करने के लिए आमादा होगया, ये सब कुछ हमारे लिए लायक़ तक़लीद आमाल हैं।
मौलाना सयद शाह अज़ीज़ उल्लाह कादरी ने अपने सदारती ख़िताब में कहा कि हज जिस्मानी और माली इबादत है और इबादत बारगाह ख़ुदावंदी में पेश किए जाने वाला एक तोहफ़ा है।
आज़मीन-ए-हज्ज अपने दिलों में इशक़ इलहि और मुहब्बत रसूल(PBUH) पैदा करें और मुक़ामात मुक़द्दसा का एहतेराम करते हुए ख़ुसूसी दुअवें का एहतेमाम करें।
ग़ुलाम ग़ौस सदर सोसाइटी ने एहराम बांधने की अमली तर्बीयत दी। इस मौके पर ख़्वाजा मुईन उद्दीन मोतमिद उमूमी, सयद मसऊद अहमद नक़्शबंदी नायब सदर, मुहम्मद इसमईल ख़ाज़िन, ख़्वाजा क़ुतुब उद्दीन टीचर, मौलाना हाफ़िज़ मुहम्मद क़दीर कादरी अशर्फ़ी, हाफ़िज़ मुहम्मद रसूल ख़ान , मुहम्मद अहमद अली सना फर्नीचरस के अलावा आज़मीन-ए-हज्ज की कसीर तादाद मौजूद थी