एक ऐसा ख़ानदान जहां सरपरस्त की माहाना (हर महीने) आमदनी सिर्फ़ 2000 रुपये और कफ़ालत ( पूर्ती) के लिए आठ अफ़राद मौजूद हों तो भला उन्हें ज़िंदगी से शिक़्वा क्यों ना होगा।
हालात को कोसने के बजाय बिलकुल ऐसी सूरत-ए-हाल में मनीपुर के 20 साला मुहम्मद अस्मत ने भी एक मुनफ़रद मिसाल क़ायम की। सी बी एस ई में मुहम्मद अस्मत ने मआशी (आर्थिक) तौर पर कमज़ोर तबक़ा की नुमाइंदगी करते हुए अपनी तमाम तर तवानाईयां झोंकते हुए इम्तेहानात तहरीर (लिखे) किए।
12 वीं जमात के इस इम्तेहान में मुहम्मद अस्मत ने कई ऐसे तलबा को पीछे छोड़ दिया जो मआशी (आर्थिक) तौर पर इससे बेहतर हालत में थे। मुल्क गीर पैमाने पर मुहम्मद अस्मत ने टाप पोज़ीशन हासिल करके एक नया रिकार्ड बनाया। मुहम्मद अस्मत को 99 फ़ीसद निशानात (९९ % अंक) हासिल हुए।
मुहम्मद अस्मत मनीपुर के मौज़ा लीलाइंग के साकन हैं जहां दीगर ( दूसरे) तरक़्क़ी याफ़ता मवाज़आत के मुक़ाबले बुनियादी सहूलतों का फ़ुक़दान है। रोज़ाना दो तीन घंटे के लिए बर्क़ी ( बिजली) भी चली जाती है। तालीमी मैदान में भी तलबा को वो सहूलतें हासिल नहीं हैं जो दीगर तरक़्क़ी याफ्ता मवाज़आत को हासिल हैं।
अस्मत ने सी बी एस ई से दसवीं जमात का इम्तेहान इम्फाल के सैनिक स्कूल से दिया और 94.2 फ़ीसद निशानात हासिल करते हुए रियासत में दूसरा मुक़ाम हासिल किया।