मनी कोंडा जागीर की 1664 एकड़ अराज़ी ओक़ाफ़ी : हाईकोर्ट

आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट ने आज एक तारीख साज़ फैसला में दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली (र) से मुंसलिक मनी कोंडा में वाक़्य 1664 एकड़ अराज़ी के ओक़ाफ़ी होने से मुताल्लिक़ वक़्त बोर्ड के इद्दिआ को तस्लीम कर लिया है । इस तरह ओक़ाफ़ी जायदादों की सयानत में उर्दू सहाफ़त की मबसूत मुहिम का एहसान अंदाज़ में नतीजा बरामद हुआ है ।

याद रहे कि मनी कोंडा में वाक़्य अराज़ी पर जब कांग्रेस रुकन पार्लीयामेंट विजय वाड़ा मिस्टर एल राज गोपाल की मिलकीयत वाली कंपनी ने लैंको हिल्स ( LANCO HILLS) प्रोजेक्ट के आग़ाज़ का अख़बारात के ज़रीया ऐलान किया तो इसके दूसरे दिन ही रोज़नामा सियासत ने एक ख़बर माले मुफ़्त दिल बेरहम के उनवान से शाय करते हुए ये इन्केशाफ़ किया था कि दुनिया की बुलंद तरीन इमारत की तामीर ओक़ाफ़ी ज़मीन पर की जा रही है ।

इस ख़बर की इशाअत पर बहुत से गोशों की जानिब से शकूक-ओ-शुबहात का इज़हार किया गया था ताहम सियासत अपने मौक़िफ़ पर क़ायम रहा और दीगर ओक़ाफ़ी जायदादों की सेयंत के साथ साथ दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली (र०) से मुंसलिक ओक़ाफ़ी जायदाद की सयंत के लिए एक मबसूत मुहिम का आग़ाज़ किया।

उर्दू अख़बारात सियासत, मुंसिफ़ और रहनुमाए दक्कन ने ओक़ाफ़ी जायदादों की सयंत के लिए एक मबसूत तहरीक शुरू कर रखी थी जिसके नतीजा में ना सिर्फ ओक़ाफ़ी जायदादों पर क़ब्ज़ा करने वालों की नींदें हराम हो चुकी थीं बल्कि मर्कज़-ओ-रियासत में कांग्रेस हुकूमतें भी मुतज़लज़ल हो चुकी थीं। मिस्टर जस्टिस वी वी एस राव और मिस्टर जस्टिस कान्ता राव पर मुश्तमिल डिवीज़न बंच ने मुख़्तलिफ़ रिट दरख़ास्तों और नज़र-ए-सानी की दीवानी दरख़ास्तों को ख़ारिज करते हुए एक तारीख साज़ फैसला सुनाया और मज़कूरा जायदाद को ओक़ाफ़ी तस्लीम कर लिया ।

याद रहे कि आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट ने मज़कूरा अराज़ी से मुताल्लिक़ एक रिट दरख़ास्त 666 of 1959 में उसे ओक़ाफ़ी तस्लीम कर लिया था जिसकी एक बार फिर आज तौसीक़ हो गई है। याद रहे कि रोज़नामा सियासत मज़कूरा जायदाद के ओक़ाफ़ी होने से मुताल्लिक़ शाय शूदा ख़बर के बाद हाईकोर्ट में एक रिट दरख़ास्त दायर की गई थी और वाहिद रुकनी बंच ने इस की यकसूई करते हुए लैंको हिल्स पर तामीरात पर हुक्म अलतवा जारी करते हुए मुआमला डीवीज़न बंच से रुजू करने की हिदायत दी थी ताहम डीवीज़न बंच ने इस हुक्म अलतवा को बर्ख़ास्त कर दिया था।

इसी असना दरगाह की इंतेज़ामी कमेटी और शहर की कुछ मुमताज़ शख्सियतों ने 2010 में आंधरा प्रदेश स्टेट वक़्फ़ ट्रिब्यूनल से रुजू होते हुए इनजंकशन एप्लीकेशंस दायर की थीं। वक़्फ़ ट्रिब्यूनल ने गुज़श्ता साल दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली(र०) से मुंसलिक ओक़ाफ़ी जायदाद के एक मुक़द्दमा में मलकीत की मुंतक़ली, फ़रोख़्तगी वगैरह पर हुक्म अलतवा जारी किया था जिसको चैलेंज करते हुए लैंको हिल्स और दीगर फ़रीक़ैन हाईकोर्ट से रुजू हुए जबकि हाईकोर्ट में इस जायदाद से मुताल्लिक़ पहले ही से रिट दरख़्वास्तें ज़ेर तस्फ़ीया थीं।

डीवीज़न बंच ने आज ट्रिब्यूनल के इनजंकशन ( INJUCTION) आर्डrस पर नज़र-ए-सानी की दरख़ास्तों को ख़ारिज कर दिया जबकि पहले से ज़ेर तsफ़ीया रिट दरख़ास्तों को ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि एक मर्तबा वक़्फ़ करदेने पर जायदाद पर से मुल्क की मिल्कीयत ख़तम हो जाती है और ये जायदाद अल्लाह के सपुर्द हो जाती है । अदालत आलिया ने इस मुक़द्दमा की लागत हुकूमत पर आइद की है जो रियासती हुकूमत को एक ज़बरदस्त धक्का है चूँकि ये रिट दरख़ास्त चीफ सेक्रेटरी की जानिब से दाख़िल की गई थी।

डीवीज़न बंच ने ये भी सर अहित कर दी कि जायदाद की किसी को दुबारा हवालगी का मतलब ये है कि किसी दूसरे को औक़ाफ़ का नगर इनकार बनाना है जिससे औक़ाफ़ की नवीत तब्दील नहीं होती। अदालत आलिया ने ये भी वज़ाहत कर दी कि मशरूत अलख़दमात इनाम, औक़ाफ़ की तारीफ में ही आता है और इस बात का ख़ातिरख्वाह सबूत मौजूद है कि मज़कूरा जायदाद वक़्फ़ है और मशरूत अलख़दमात औक़ाफ़ की नवीत का ही हामिल होता है ।

यहां ये बात काबिल तज़किरा है कि इन मुक़द्दमात में मुख़ालिफ़ीन औक़ाफ़ ने मज़कूरा जायदाद के पहले वक़्फ़ सर्वे के बाद जारी कर्दा गज़्ट आलामीया के तसहेही आलामीया को गैरकानूनी क़रार देते हुए वक़्फ़ बोर्ड के इक़दाम को चैलेंज करते हुए इद्दिआ किया था कि वक़्फ़ बोर्ड को तसहेही आलामीया जारी करने का इख्तेयार ही हासिल नहीं है। मालूम हो कि पहले सर्वे के फ़ार्म में मुंसलिक जायदाद के ख़ाना में जायदाद का इंदिराज ग़लती से नहीं किया जा सका था ।

वक़्फ़ बोर्ड ने तसहेही आलामीया जारी करते हुए मज़कूरा जायदाद के ओक़ाफ़ी होने का तसहेही आलामीया जारी किया था । हाईकोर्ट ने अपने फैसला में वक़्फ़ बोर्ड के इस अदा को भी तस्लीम किया कि वक़्फ़ बोर्ड को तसहेही आलामीया जारी करने का कामिल इख्तेयार हासिल है और ऐसा करना इख़्तेयारात से मुतजाविज़ तसव्वुर नहीं होगा । हाईकोर्ट ने ये भी वज़ाहत की कि इस ज़िमन में दायर कर्दा रिट दरख़्वास्तें काबिल-ए-ग़ौर नहीं हैं चूँकि ये वक़्फ़ ट्रिब्यूनल के दायरा कार में आती हैं।

आंधरा प्रदेश स्टेट वक़्फ़ ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट में वक़्फ़ बोर्ड की जानिब से नामवर माहिर-ए-क़ानून जनाब शफीक अल रहमान मुहाजिर एडवोकेट, जनाब मसऊद ख़ान एडवोकेट और जनाब फ़ारूक़ सलाहुउद्दीन ऐडवोकेट की ख़िदमात हासिल की थी जबकि दरगाह की इंतेज़ामी कमेटी के सदर जनाब सय्यद अफ़ज़ल मेंह्दी की जानिब से ट्रीब्यूनल में जनाब सय्यद अबदुल ग़फ़्फ़ार और हाईकोर्ट में मिस्टर सुरेश कुमार एडवोकेट पेश हुए थे।

दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली (र०)से मुंसलिक इस जायदाद में इंफो सिस टेक्नालोजी लिमिटेड को 50 एकड़ , उर्दू यूनीवर्सिटी को 200 एकड़ , इंडियन स्कूल आफ बिज़नेस को 250 एकड़ , बोल्डर हिल्स लेज़र प्राईवेट लिमिटेड को 17 एकड़ , अम्मार हिल्स टाउन शिप्स प्राईवेट लिमिटेड को 110.6 एकड़ और मज़ीद 50 एकड़ , विप्रो को 30 एकड़ , वि जे आई एल कंसल्टिंग लिमिटेड को 5 एकड़ , पोला रेस सॉफ्टवेर लिमिटेड को 7.87 एकड़ , माईक्रो साफ़्ट इंडिया (आर एंड डी) प्राईवेट लिमिटेड को 54.80 एकड़ और लांको हिल्स को 108 एकड़ आराज़ीयात हवाला की गयी।

हाईकोर्ट के फैसला का ख़ैर मुक़द्दम करते हुए सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड जनाब सय्यद शाह ग़ुलाम अफ़ज़ल ब्याबानी ने कहा कि बोर्ड ने ग़ैरमामूली दिलचस्पी का मुज़ाहरा करते हुए मुक़द्दमा में कामयाबी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उन्होंने कहा कि सिर्फ बोर्ड के स्टैंडिंग कौंसल्स पर इक्तिफ़ा करने की बजाय नामवर माहिर-ए-क़ानून जनाब शफीक अल रहमान मुहाजिर एडवोकेट की ख़िदमात हासिल की गयी जिन्होंने वक़्फ़ ट्रीब्यूनल और हाईकोर्ट में वक़्फ़ बोर्ड के मौक़िफ़ को निहायत ही मोस्सर अंदाज़ में पेश किया।

मुख़ालिफ़ीन की जानिब से हैदराबाद और मुल्क्क के नामवर वुकला की ख़िदमात से इस्तेफ़ादा किया गया था मगर बोर्ड अपने मौक़िफ़ के बारे में क़ाइल करवाने में कामयाब रहा। उन्होंने कहा कि इस मुक़द्दमा से बोर्ड को एक नई ताक़त मिली है।