उर्दू मीडीया पर सच छुपाने के लिए सयासी दबाव डालने की कोशिशों के बावजूद मनी कोंडा जागीर के तहफ़्फ़ुज़ में उर्दू अख़बारात ने अपने फ़रीज़ा को पूरा करने में कामयाबी हासिल कर ली। कुछ लोग उर्दू मीडीया को मादर पिदर सयासी के ताने दे कर अपना मक़सद हासिल करने की कोशिश करते रहे हैं।
आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट ने तारीख़ साज़ फ़ैसला सुनाते हुए मुस्लमानों की क़ीमती ओक़ाफ़ी जायदाद के तहफ़्फ़ुज़ के लिए अपने फ़ैसला की मोहर सबुत कर दी। दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली (र०) से मुंसलिक मनी कोंडा में वाक़्य 1664 एकड़ अराज़ी के ओक़ाफ़ी होने से मुताल्लिक़ वक़्फ़ बोर्ड के अदा को तस्लीम करते हुए ओक़ाफ़ी जायदादों की सयानत में सरगर्म उर्दू सहाफ़त की मबसूत मुहिम को दरुस्त ज़ाहिर कर दिया।
मुस्लमानों की करोड़ों रुपये की जायदादें हुकूमत वक़्त की बदनीयती का शिकार होती आ रही हैं। हर दौर में हुकमरानों ने मुस्लमानों को पसमांदगी के दलदल में ढकेल कर उनकी क़ीमती जायदादों पर ऐश किया। जबकि आज का दौर वो है जिसमें मुस्लमानों को अपने सोश्यल मीडीया की मदद से हुकूमतों के तख़्ते उलट देने की कोशिश करनी चाहीए।
मगर मुसीबत ये है कि हमारे मुआशरे की नाम निहाद सयासी ताक़तें मुस्लमानों को गुमराह करती रही हैं। उन्हें ये अंदाज़ा नहीं है कि एक दिन उर्दू मीडीया अपने मुआशरे में इंक़लाब बरपा करके उन्हें बा शऊर बनाते हुए मिल्लत के लिए किसी क़दर फ़ायदेमंद इक़दामात करेगा।
हुकमरानों को अभी अंदाज़ा नहीं है कि मुस्लमानों की समाजी ताक़त अगर मुजतमा हो जाए तो वो अपने लिए किस क़दर फ़ायदेमंद इक़दामात कर सकते हैं। हिंदूस्तान भर में ओक़ाफ़ी जायदादों का बेजा इस्तेमाल करने वाले हुकमरानों, क़ब्ज़ा गीर अनासिर ने इस तबक़ा को पसमांदगी से दो-चार कर दिया है।
बददियानती से काम लेने वाला हुक्मराँ हो या ओक़ाफ़ी जायदादों की निगरानी करने वाले ज़िम्मेदार अफ़राद, हर एक ने मिल कर औक़ाफ़ की इमलाक को तबाह करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी। ओक़ाफ़ी जायदादों से मुताल्लिक़ हाईकोर्ट का एहसास मंशाए वक़्फ़ का मज़हर है। जब एक अराज़ी को वक़्फ़ क़रार दिया जाता है तो इसकी नौईयत तब्दील नहीं की जा सकती, और ये ज़मीन ख़ुदा की मिल्कियत होती है।
हुकूमत आंधरा प्रदेश ने इस अल्लाह की मिल्कियत को अपनी जागीर समझ कर इस का मनमानी सौदा किया। ए पी इंडस्ट्रीयल इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन और लांको हिल्स लिमिटेड ने मनी कोंडा अराज़ी की जागीर जायदाद है अपनी मिल्कियत बता कर झूट की बुलंद इमारतें खड़ी करने की कोशिश की। ए पी हाईकोर्ट का फ़ैसला रियास्ती वक़्फ़ बोर्ड के लिए सब से बड़ा हथियार साबित होगा, वो इस फ़ैसला की मदद से रियासत में तमाम उन ओक़ाफ़ी जायदादों की बाज़याबी, हसोली और तहफ़्फ़ुज़ के लिए कमर कस सकता है जिन को किसी ना किसी तरीक़ा से हड़प लिया गया है।
ओक़ाफ़ी इमलाक मुस्लमानों का क़ीमती असासा हैं। आज के दौर में इन ओक़ाफ़ी जायदादों को सही तसर्रुफ़ में लाया जाय तो मुस्लमानों के मआशी, समाजी, तालीमी मसाइल अज़ ख़ुद हल होंगे और मुस्लमानों को हुकमरानों के रहम-ओ-करम पर रहने की ज़रूरत नहीं होगी।
अख़बार सियासत ने उम्मते मुस्लिमा के हुक़ूक़ और उनके मुआशर्ती, तालीमी और क़ौमी ज़िंदगी में हमेशा दुरुस्त रहनुमाई की है। किसी भी जमहूरी मुआशरे में इजतिमाई जद्द-ओ-जहद एक सुप्रीम ताक़त होती है। अख़बार सियासत को इसके क़ारईन का भरपूर साथ रहा है, इस लिए उम्मते मुस्लिमा के हर दुख दर्द और मसाइल की यकसूई के लिए इसने ख़ुद को वक़्फ़ करके अब तक इसमें कामयाबी हासिल की है।
हमारी नस्ल से पहले वाली नस्ल और आने वाली नस्लों के लिए शम्मा ज़िंदगी रौशन रखने की एक मक़दूर भर कोशिश की जाती रही है और आगे भी जारी रहेगी। जज़ा और सज़ा का तसव्वुर हर मुआशरे में मौजूद होता है लेकिन बाअज़ ग्रुप्स ने ओक़ाफ़ी जायदादों को हड़प कर लेने में दूसरों का साथ दे कर अपनी सयासी दुनिया बेहतर बनाई है।
इनकी हरकतों की वजह से ग़ैर मुस्तहिक़ को जज़ा मिली और बेक़सूर मुस्लिम मुआशरा को मुआशरती, तालीमी पसमांदगी के तौर पर सज़ा का सामना करना पड़ रहा है। मनी कोंडा अराज़ी से मुताल्लिक़ अख़बार सियासत की मुहिम और हाईकोर्ट के फ़ैसला ने एक मामूली सी झलक दिखा दी है कि अगर हम अपने हुक़ूक़ के हुसूल के लिए डट जाएं तो कामयाबी हमारे क़दम चूमेगी, और मुस्लमानों को परेशानीयों से छुटकारा मिलेगा।
मुस्लमानों का क़ाफ़िला मुत्तहिद होकर अपने मसाइल की यकसूई की ज़िम्मेदारी बही ख़्वाहाँ-ए-क़ौम के हवाले करे और उन का साथ दे तो बहबूद-ओ-ख़ुशहाली की तलूअ सुबह का ख़ूबसूरत मंज़र बहुत जल्द देखना नसीब होगा। इस मसर्रत अंगेज़ सुबह का इशारा मनी कोंडा जागीर के मसला पर आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट के फ़ैसला से मिल चुका है।
रियास्ती कांग्रेस हुकूमत और इस का साथ देने वाली क़ियादत ने मुस्लमानों का कितना ख़सारा किया है इस का अगर बग़ौर जायज़ा लें तो मुस्लमानों को अंदाज़ा होगा कि इनकी पसमांदगी, नाख़्वान्दगी और पस्ती की वजूहात में किस का हाथ है। मौजूदा हालात की हक़ीक़त पसंदी की आड़ में अपनी सयासी बरतरी का मुज़ाहरा करने वालों से भी चौकसी ज़रूरी है।
क्योंकि मुस्लमानों के लिए मौजूदा तारीख़ जद्द-ओ-जहद करने वालों, हालात को बदलने वालों और मायूसी के ख़िलाफ़ लड़ने वालों को याद करती है ना कि मज़कूरा धोका-ओ-फ़रेब दे कर हुकूमत का साथ देने वालों को। यक़ीन कीजिए कि आप को गुमराह करने वालों से चौकस-ओ-चौकन्ना रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। मुस्लमानों को पस्ती की तरफ़ ले जाने वालों का रास्ता रोकना या क़ौम को ख़तरात से आगाह करना अख़बार हज़ा की अमली-ओ-फ़रीज़ा ज़िंदगी का एक हिस्सा है।