मन्दसौर में 7 साल की बच्ची के साथ हुई गैंगरेप की घटना अति-निन्दनीय व अति-शर्मनाक और इस मामले में सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिये: मायावती

नई दिल्ली: स्विट्ज़रलैण्ड के बैंकों में जहाँ विश्वभर के बड़े-बड़े पूँजीपति व धन्नासेठ अपना धन रखने को अपनी शान समझते हैं, वहाँ बीजेपी के चहेते भारतीय पूँजीपतियों के धन में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, तो क्या इसका श्रेय बीजेपी एण्ड कम्पनी व मोदी सरकार लेना पसन्द नहीं करेगी? वैसे देशहित का मूल प्रश्न यह है कि भारत में कमाया गया धन विदेशी बैंकों में क्यों?

वैसे तो मीडिया का कहना है कि कालाधन पर अंकुश लगाने की नरेन्द्र मोदी सरकार के दावों की इससे पोल खुल गई है, परन्तु जनहित का प्रश्न यह है कि भारतीय धन्नासेठों के धन में इतनी ज्यादा वृद्धि कैसे व कहाँ से हुई है तथा इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार की नीयत, उनकी नीति व बड़े-बड़े दावों का क्या हुआ? क्या इसी लिये बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें प्राइवेट सेक्टर को अंधाधुंध बढ़ावा दे रही हैं, जहाँ समाज के उपेक्षितों, दलितों, पिछड़ों आदि की हमेशा से उपेक्षा व तिरस्कार है।

बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने स्विस बैंकों में भारतीयों के जमा धन में 50 प्रतिशत की वृद्धि के चर्चित विषय पर एक बयान में कहा कि क्या नरेन्द्र मोदी सरकार यह अपराध स्वीकार करने को तैयार है कि विदेशों में जमा देश का कालाधन वापस लाकर उसे देश के प्रत्येक गरीब परिवार के हर सदस्य को 15 से 20 लाख रुपये देेने के उसके चुनावी वायदे पूरी तरह से गलत व छलावा साबित हुये हैं। इतना ही नहीं बल्कि देश की सवा सौ करोड़ गरीब व मेहनतकश आमजनता आने वाले सभी आमचुनावों में आर.एस.एस. व बीजेपी एण्ड कम्पनी तथा श्री नरेन्द्र मोदी सरकार से भी यह जवाब जरुर चाहेेगी की बीजेपी सरकार की नीतियों से अमीर लोग और ज्यादा धनवान तथा गरीब, मजदूर व किसान आदि और भी ज्यादा दुःखी व परेशान क्यों होते जा रहे हैं? क्या यही बीजेपी के लिये देशहित की बात है व उसकी सच्ची देशभक्ति की मिसाल है?

इसके अलावा भारतीय रुपये का लगातार अवमूल्यन व भारतीय पासपोर्ट की अहमियत ख़ासकर अमेरिका में लगातार क्यों कम होती जा रही है, सरकार को इस बात का भी जवाब जनता को ज़रुर देना चाहिये। ये दोनों सवाल देश की प्रतिष्ठा से जुड़े हुये हैं जिसके सम्बन्ध में भी देश की सवा सौ करोड़ जनता दुःखी व आहत् भी हैं।

मायावती ने कहा कि ऐसे समय में जबकि भारतीय मुद्रा का ऐतिहासिक अवमूल्यन हुआ है और देशवासी इससे काफी विचलित हैं, स्विस बैंकों में भारतीय धन्नासेठों की जमा धन में  50 प्रतिशत की वृद्धि होना क्या देश के करोड़ों ग़रीबों, मज़दूरों, किसानों, मेहनतकश लोगों व ख़ासकर युवा बेरोज़गारों के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने जैसा नहीं हैं, तो और क्या है?

इसके साथ ही इन विदेशी धन सम्बन्धी ख़बरों से बी.एस.पी. का यह आरोप फिर से प्रमाणित हो गया है कि बीजेपी व इनके प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों के द्वारा व उन्हीं के हित व कल्याण के लिये ही काम करने वाली पूरी तरह से ग़रीब, मजदूर, किसान-विरोधी सरकार है।

साथ ही सवा सौ करोड़ लोगों के इस देश मंे मात्र कुछ लोगों को दिखावे के लिये गैस सिलैण्डर देकर उसके प्रोपेगेंडा मात्र में आसमान-ज़मीन एक कर देना वास्तव में विशुद्व रूप से संकीर्ण चुनावी राजनीति है जबकि इससे भी अधिक मात्रा में हर वर्ष गैस कनेक्शन देना एक सामान्य प्रक्रिया रही है। लेकिन इस सामान्य जिम्मेदारी को भी स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ऐसे प्रचारित करते रहते हैं, जैसे इन्होंने जनहित व जनकल्याण का कोई बड़ा ऐतिहासिक कार्य कर दिया है और इससे भारत के ग़रीबों का भाग्य बदल जायेगा। मूल प्रश्न यह है कि केन्द्र सरकार जानलेवा महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी व अशिक्षा आदि की राष्ट्रीय समस्या को क्यों नहीं रोक पा रही है?

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह राजनीति से प्रेरित बयान कि ’सत्ता के लिये एक साथ हो रहे हैं धुर विरोधी विपक्षी पार्टियाँ, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि घोर जातिवादी, जनविरोधी व अहंकारी बीजेपी सरकारों के खिलाफ विपक्षी पार्टियों का एकजुट होना जनहित का बड़़ा काम है। इससे बीजेपी के पेट में दर्द होना स्वाभाविक है, यह जनता खूब अच्छी तरीके से समझ रही है। परन्तु उन्हें इस बात पर ग़ौर करना चाहिये कि उनकी जनविरोधी नीतियों के कारण ही उनके गठबन्धन के दल उन्हें पानी पी-पी कर कोस रहे हैं और उनसे एक-एक करके अलग भी होते चले जा रहे है। वैसे भी इस सम्बन्ध में बीजेपी को सन् 1967, 1977 व सन् 1989 आदि की राजनीति व अनुभव को क्यों आसानी से भुलाकर जनता को वरगलाने का प्रयास कर रही है?

इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ‘‘अमेरिका फस्र्ट‘‘ की नीति अपनाने के कारण भारतीय लोगों का शोषण व गिरफ्तारी आदि भी जो वहाँ शुरु हो गया है, उसके सम्बन्ध में भी केन्द्र सरकार की खामोशी उसकी विफलता व कमजोरी को ही साबित करते हैं। भारतीय पासपोर्ट धारकों के हित व सुरक्षा की गारण्टी मोदी सरकार को लेकर इस सम्बन्ध में समुचित कदम तत्काल उठाना चाहिये, ऐसी बीएसपी की माँग है।

इसके अलावा यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगी कि आज जी.एस.टी. को लागू हुये एक वर्ष पूरा हो चुका है और इस मौके पर केन्द्र की सरकार को यह चाहिये कि वह इसकी पूरी ईमानदारी से समीक्षा करे और समीक्षा में जो भी इसमें कमियाँ सामने आती हैं, तो देश व जनहित में उन्हें जरूर दूर करे।

इसके साथ-साथ, मध्यप्रदेश के ‘‘मन्दसौर’’ में 7 साल की बच्ची के साथ हुये ‘‘गैंगरेप’’ के बारे में भी हमारी पार्टी का यह कहना है कि यह ‘‘अति-निन्दनीय व अति-शर्मनाक’’ घटना है और इसके मुख्य दोषी लोगों के विरूद्ध वहाँ की भाजपा सरकार को समय से कड़ी कानूनी कार्यवाही करनी चाहिये। इसके साथ ही, बीजेपी को भी अपने उस सांसद व विधायक के खिलाफ भी कार्यवाही करनी चाहिये, जिन्होंने इस घटना को कतई भी गम्भीरता से नहीं लिया है और इसकी आड़ में इन्होंने अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने की भी घिनौनी हरकत की है।