कोलकाता। निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम पर लगाम लगाने के लिए विधानसभा में ‘द वेस्ट बंगाल क्लीनिकल इस्टेहब्लिस्मेंट्स (रेजिस्ट्रेशन, रेग्यूलेशन एंड ट्रांसपेरेंसी) बिल, 2017’ ध्वनिमत से पारित हो गया। विरोधी दलों ने विधेयक को स्थायी कमेटी को भेजने की मांग की, जिसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खारिज कर दिया।
मुख्यमंत्री ने निजी अस्पतालों से अाह्वान करते हुए कहा कि, ट्रीट विथ स्माइल, सेवा विथ स्माइल’ का पालन करें। मानवीयता के आधार पर कार्य करें। जो गलती किये हैं, वे सुधार लें। अन्यथा कानून जैसे उनके लिए (मुख्यमंत्री) है, वैसा ही उनके लिए होगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य लापरवाही पर लगाम लगाना है।
बेलगाम खर्च पर लगाम लगाना है। अन्याय और अनैतिकता को रोकना है. वह शीघ्र ही जिलों में प्रशासनिक बैठक के दौरान जिला के नर्सिंग होम व अस्पतालों के साथ बैठक करेंगे। यदि वे गलती कर रहे हैं, तो उसमें सुधार लें। अन्यथा कानून अपना काम करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपोलो की ओर से उन्हें एक पत्र दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि अस्पताल सरकारी दिशा निर्देश का पालन करेगा। उन्होंने कहा कि आयोग नजर रखेगा कि सरकारी दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं।
मुख्यमंत्री ने संजय राय सहित अन्य मरीज का जिक्र करते हुए कहा कि पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक के फिक्सड डिपोजिट, घर के कागजात और स्थायी संपत्ति के कागजात जब्त कर लिये गये। यह नहीं चलेगा। मृतक के पार्थिव शरीर को रोक कर नहीं रखा जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक कानून है। यह पूरे देश के लिए मॉडल बनेगा। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों का केवल बंगाल में नहीं बेलगाम पैसे नहीं लिये जा रहे हैं, बल्कि पूरे देश में यह चल रहा है. आम लोगों को इस कानून को समर्थन मिला है। विरोधी दलों के स्थायी समिति में भेजने की मांग को खारिज करते हुए कहा कि और अधिक समय नष्ट नहीं किया जा सकता है। इसे तुरंत ही लागू करना होगा।