ममता सरकार को कोर्ट से फटकार, कहा- दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर पाबंदी लगाकर अल्‍पसंख्‍यकों को खुश करने का प्रयास

पश्चिम बंगाल:कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के मुहर्रम के चलते दुर्गा मूर्तियों के विसर्जन के लिए समय सीमा तय करने के फैसले को मनमाना करार देते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह आदेश अल्पकसंख्यकों को खुश करने का साफ प्रयास है. जस्टिस दीपांकर दत्ता की एकल बैंच ने यह फैसला सुनाया है.

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जनसत्ता के अनुसार,हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि सरकार के इस तरह के मनमाने फैसलों से असहिष्णुाता पैदा होगी,कोर्ट ने कहा, ”राज्य सरकार का यह फैसला साफ दिखा रहा है कि बहुसंख्यकों की कीमत पर अल्पहसंख्यक वर्ग को खुश करने और पुचकारने का पर्यास है . हम कठिन समय में रह रहे हैं और धर्म के साथ राजनीति को मिलाना खतरनाक होगा.उन्होंने कहा कि एक समुदाय को दूसरे के विरुद्ध खड़ा करने वाला कोई भी फैसला नहीं लिया जाना चाहिए. साथ ही इसमें कोई सफार्इ भी नहीं दी गई है.

इस साल विजयदशमी 11 अक्टूकबर है और इसके अगले दिन मुहर्रम है. जस्टिस दत्ता ने पुलिस और प्रशासन को मूर्ति विसर्जन और ताजिए के लिए रूट तलाशने का निर्देश देते हुए कहा कि ध्यान रखिए कि दोनों रास्ते आपस में टकराए ना. कोर्ट ने कहा कि राज्य या केंद्र सरकार की ओर से कभी भी मुहर्रम की शाम को छुट्टी घोषित नहीं की गई. आदेश में यह भी कहा गया है कि इस्लाम के मानने वालों के लिए भी मुहर्रम सबसे महत्वदपूर्ण त्योहार नहीं है. राज्य सरकार ने लापरवाही से एक समुदाय के प्रति भेदभाव किया है ऐसा करके उन्होंगने मां दुर्गा की पूजा करने वाले लोगों के संवैधानिक अधिकारों पर अतिक्रमण किया है.

जज ने कहा, ”इससे पहले कभी विजयदशमी के दिन दुर्गा की मूर्तियों के विसर्जन पर पाबंदी नहीं लगाई गई. बैंच के सामने बताया गया कि 1982 और 1983 में विजयदशमी के अगले दिन मुहर्रम मनाया गया लेकिन उस समय कोई पाबंदी नहीं लगार्इ गई, विजयदशमी हिंदुओं के लिए परंपरा है जिसे आगे नहीं खिसकाया जा सकता. गौरतलब है कि राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ तीन याचिकाएं दायर हुई थीं, ये याचिकाएं दो परिवारों और एक अपार्टमेंट कॉम्लैक्स की ओर से दायर की गई.