वज़ीर-ए-आज़म फैनानस पी चिदम़्बरम ने हिंदूस्तानी क़वानीन और ज़ाबता अमल को आलमी मयारात के मुताबिक़(अनुसार) बनाने से मुताल्लिक़ नायब सदर नशीन मंसूबा बंदी(योजना आयोग) कमीशन मोंटेक सिंह अहलुवालिया के नज़रिया से इख़तिलाफ़ किया और कहा कि इस के बजाय मुंसिफ़ाना और ग़ैर जांबदाराना ज़ाबते अपनाने की ज़रूरत है।
अहलुवालिया ने कहा था कि हमारे क़वानीन और ज़ाबता अमल को आलमी मयारात के मुताबिक़(अनुसार) बनाना चाहीए जिस के जवाब में चिदम़्बरम ने इस कान्फ़्रैंस में कहा कि मुझे इस बात पर यक़ीन नहीं है कि आलमी मयारात ही यक़ीनी तौर पर बेहतरीन मयारात साबित होसकते हैं। उन्हों ने कहा कि तमाम आलमी मयारात का बेहतर होना ज़रूरी नहीं है।