एक तरफ जहां मरकज़ हुकूमत ने 14वें फायनेस कमीशन की सिफ़ारिश में मरकज़ी टैक्सों में रियासत की हिस्सेदारी 32 से बढ़ा कर 42 फीसद कर खूब तारीफ बटोरी है, वहीं दूसरी तरफ गुजिशता हुकूमत की आठ मंसूबे को बंद कर रियासतों को मायूस कर दिया है। इन मंसूबो में मरकज़ी हुकूमत अब अपना हिस्सा नहीं देगी।
इस फैसले से रियासत की सैकड़ों चालू मंसूबे लटक गई हैं। अब रियसती हुकूमत की मर्जी पर मुंहसर करता है कि वह चालू मंसूबों को पूरा करे या बंद कर दे। मरकज़ की इन मंसूबों के बंद होने से झारखंड को 1300 करोड़ का नुकसान हुआ है। इसका सीधा असर तरक़्क़ी पर दिखेगा। जो मंसूबे बंद हुई हैं, वे गांव, टुरिस्ट मुकाम और पुलिस के तरक़्क़ी से जुड़ी थीं।
देही इलाकों में पंचायत इमारत, आंगनबाड़ी सेंटर, पक्की सड़क, स्कूल इमारत, सामुदायिक भवन, चैक डैम, प्राइमरी अस्पताल सेंटर वगैरह तामीर के लिए चल रहे बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड (बीआरजीएफ) को बंद कर दिया गया है। इंतेहाई उग्रवाद मुतासीर जिलों के तरक़्क़ी के लिए स्कीम फॉर सेंट्रल असिस्टेंट के तहत मिलने वाली माली मदद नहीं मिलेगी।
इसके तहत 17 जिले सेलेक्टेड थे। हर जिले को 35-35 करोड़ दिया जाता था। इन दोनों मंसूबों में एक हजार करोड़ से ज़्यादा रकम मिलती थी। मरकज़ी मंसूबा से रियासत में स्कूल जदीद का काम चल रहा था। इस मनसूबा के तहत 130 स्कूल मुंतखिब थे, जिनमें 57 स्कूलों का काम पूरा कर लिया गया था। बाकी स्कूलों को मॉडल बनाना था।
ये मंसूबे हुई बंद
मंसूबा नुकसान
नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान 20.00 करोड़
पिछड़ा क्षेत्र अनुदान (बीआरजीएफ) 450.00 करोड़
पुलिस आधुनिकीकरण 42.04 करोड़
राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान 16.45 करोड़
स्कीम फॉर सेंट्रल असिस्टेंस 595.00 करोड़
स्कीम फॉर मॉडल स्कूल 80.00 करोड़
नेशनल मिशन ऑन फूड प्रोसेसिंग 05.13 करोड़
टूरिस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर 15.45 करोड़
कुल 1207.98 करोड़