मरयाल‌ गुड़ा में आमिना लिलबनात के ज़ेरे एहतिमाम इजलास आम

मरयाल‌ गुड़ा,16 जनवरी: ( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़ ) नबी करीम की पैदाइश का मक़सद लोगों को क़ुरआन की आयतें पढ़ कर सुनाना और उन्हें किताब-ओ-हिक्मत ( पढ़ना लिखना ) सीखाना और ख़ुदाए वाहिद की बंदगी की जानिब राग़िब करना था। मस्जिद अर्फ़ात (छोटी मस्जिद ) मरयाल गुड़ा में मदरसा आमिना लिलबनात के ज़ेरे एहतिमाम एक इजलासे आम से ख़िताब करते हुए मेहमान ख़ुसूसी मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद शफ़ी नक़्शबंदी ख़लीफ़ा हज़रत पीर ज़ुल्फ़क़ार अहमद नक़्शबंदी ने इन ख़्यालात का इज़हार किया।

इजलासे आम की सदारत मौलाना मुहम्मद अकबर नाज़िम मजलिस इलमिया आंधरा प्रदेश ने की। सिलसिला ख़िताब जारी रकथे हुए मौलाना ने कहा कि आप लोगों को दावत देने उन के पास बार बार तशरीफ़ ले जाते क़ुरैश के सरदार और दूसरे आप की दाअवत को सुन्ने के बजाय बुरा भला कहते और अपने घर के दरवाज़े बंद करलेते।

इन सब के बावजूद आप कहते मेरी बात मान लो कामयाब होजाओंगे। मौलाना ने इल्म हासिल करने का तज़किरा करते हुए कहा कि इल्म हासिल करने की अहमियत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि क़ुरआन की सब से पहली आयत वही के ज़रीये आप पर जो नाज़िल हुई है वो इक़राअ है जिस के माअना इल्म हासिल करने के हैं।

इस्लाम में इल्म दीन को हासिल करना फ़र्ज़ क़रार दिया गया है। मौलाना नक़्शबंदी ने कहा कि हज़रत उमर‌ फ़ारूक़ के दौर में फ़ौज के कमांडर को जो तनख़्वाह दी जाती थी वही तनख़्वाह एक मुअल्लिम को भी दी जाती थी। जंगे बदर का तज़किरा करते हुए मौलाना ने कहा कि जंगे बदर के वो कैदी जो क़तल करने के काबिल थे आप ने ये शर्त रखी कि एक कैदी दस लोगों को लिखना पढ़ना सिखाय तो उन्हें आज़ाद करदिया जाएगा। तक़्वा और तज़किया नफ्स की अहमियत को बताते हुए मौलाना ने कहा कि जन्नत में जाने के लिए इन दोनों का होना बहुत ज़रूरी है।

तज़किया का मतलब‌ रगड़ कर मैल कुचैल को दूर करना है वो मैल जो हमारे दिलों में हसद, कीना, बुग्ज़ और झूट जैसे नामों से मौजूद है। आख़िर में मौलाना ने इल्म वालों की क़दर करने, उन की सोहबत में बैठने और क़ुरआन की कसरत से तिलावत करने की ताकीद की। इस मौक़े पर मौलाना पी एम मुज़म्मिल साहबज़ादा, मौलाना पी एम ज़करिया, बैंगलौर ने अपने ख़िताब में अल्लाह और उस के रसूल से अपनी निसबत को मज़बूत करते हुए झूट से परहेज़ करने और जदीद दौर के फ़ितनों में सब से बडा फ़ित्ना टी वी से दूर रहने की तलक़ीन की।

आप ने टी वी को सारे फ़ितनों की जड़ क़रार दिया। इस मौक़े पर मौलाना एहसानुद्दीन रशादी, क़ासमी नाज़िम दार-उल-उलूम नलगुनडा, मौलाना मुहम्मद अब्दुलबसीर क़ासमी नाज़िम मदरसा तनवीर अलबनात, मौलाना मुफ़्ती अमानुल्लाह क़ासमी नाज़िम मदरसा मदीना उल-उलूम , मौलाना मुहम्मद मख़दूम मुही उद्दीन नाज़िम मदरसा मिफ़्ताह उलफ़लाह ने भी मुख़ातब किया।

जलसे का आग़ाज़ क़ारी मुहम्मद निज़ामुद्दीन इमाम-ओ-ख़तीब मदीना मस्जिद नलगुनडा की क़िराते कलाम पाक से हुआ। मौलाना मुहम्मद रफ़ीउद्दीन हुसामी ने नाअते शरीफ़ पढ़ने की सआदत हासिल की। मौलाना मुफ़्ती शफ़ी नक़्शबंदी की दुआ और मौलाना मुफ़्ती इमरान के शुक्रिया पर रात देर गए जलसे का इख़तेताम अमल में आया। इस से पहले दोपहर बाद नमाज़े ज़ुहर मौलाना मुफ़्ती शफ़ी नक़्शबंदी के हाथों मदरसा आमिना ललबनात की इमारत का इफ़्तिताह अमल में आया। इस मौक़े पर मौलाना नक़्शबंदी ने मदरसे में मौजूद ख़वातीन की कसीर तादाद को भी मुख़ातब किया।