मर्कज़ में बरसर-ए-इक्तदार म्यू पी ए हुकूमत ने आम बजट बराए साल 2012 – 13 पेश कर दिया है । जो तजावीज़ वज़ीर फायनेंस मिस्टर परनब मुकर्जी ने इवान में पेश की हैं वो एक तरह से मिली जुली हैं और कई अशिया की कीमतें अब मज़ीद बढ़ जाएंगी ।
जो तजावीज़ पेश की गई हैं उनके नतीजा में टू व्हीलर्स कारें रेफ्रीजरेटर्स आवर कंडीशनर्स वाशिंग मशीन साबुन कॉस्मेटिक्स सिगरेट बीड़ी पान मसाला लग्जरी गाड़ियां सोना प्लेटीनम और फ़िज़ाई सफ़र महंगे हो जाएंगे । ताहम कुछ अशिया को हुकूमत ने सस्ती करने की अमली कोशिशें भी की हैं जिनके नतीजा में मोबाईल फ़ोन आलात चांदी के ज़ेवरात मलबूसात एल सी डी और एल ई डी सस्ते होंगे ।
हुकूमत ने तनख़्वाह पाने वाले और इन्फ़िरादी इनकम टैक्स अदा करने वाले अवाम के लिए मामूली सी सहूलत फ़राहम की है और इन्फ़िरादी इनकम टैक्स अस्तेसनी ( छूट) की हद को 1.80 लाख रुपये से बढ़ा कर दो लाख रुपये कर दिया है । ताहम कई शोबा जात में सर्विस टैक्स आइद कर दिया गया है और ये टैक्स दर असल बिलवास्ता तौर पर आम पर आइद किया गया है ।
जो इदारे और कॉर्पोरेट्स अवाम को मुख्तलिफ़ ख़िदमात फ़राहम करते हैं वो अब सर्विस टैक्स अदा करेंगे और ये टैक्स वो अवाम से वसूल करेंगे । इस तरह बिलवास्ता तौर पर अवाम की जेब पर ही डाका मारा गया है । जो मामूली सहूलत इन्फ़िरादी टैक्स अस्तेसनी के नाम पर दी गई थी इस का मुआवज़ा सर्विस टैक्स आइद करते हुए हुकूमत ने हासिल करने का फैसला किया है । इलावा अज़ीं रोज़मर्रा के इस्तेमाल की अशिया इस बजट के नतीजा में महंगी हो जाएंगी । ये इज़ाफ़ा पहले ही से महंगाई और कीमतों में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा की मार बर्दाश्त करने वाले अवाम की कमर तोड़ने का मूजिब हो सकता है ।
हुकूमत ने कॉर्पोरेट्स के मुफ़ादात का ख़्याल रखा है लेकिन आम आदमी का बजट में रास्त कहीं कोई हवाला नहीं है और ना ही किसी ऐसी स्कीम यह फ़लाही प्रोग्राम को बजट में शामिल किया गया है जो रास्त मुल्क के आम आदमी के लिए हो।
कॉर्पोरेट्स के लिए टैक्स शरह में किसी तरह के इज़ाफ़ा से गुरेज़ किया गया है इस के बजाय बिलवास्ता अंदाज़ में अवाम पर ही बोझ मुंतक़िल करने की तजावीज़ बजट में शामिल रखी गई हैं।
कॉर्पोरेट्स के लिए आज़म तरीन स्टैंडर्ड ड्यूटी की शरह में कोई तब्दीली करने से गुरेज़ किया गया है लेकिन सर्विस टैक्स के नफ़ाज़ से आम आदमी को बिलवास्ता बोझ बर्दाश्त करना पड़ेगा । इलावा अज़ीं हुकूमत की जानिब से जारीया इक़्तेसादी साल के दौरान सब्सिडी भी कम की गई है ।
सब्सिडी अख़राजात को 14 फीसद तक कम कर दिया गया है और ये कटौती भी अवाम की जेब से ही पूरी की जाएगी। अब देखना ये है कि जो सब्सिडी कम की गई है इस का इतलाक़ कौन से शोबा जात पर होगा । अंदेशा तो यही है कि ये शोबा जात भी रास्त आम आदमी की ज़रूरियात से मुताल्लिक़ ही होंगे और उनका बोझ भी आम आदमी पर ही आइद होगा।
सयासी हलक़ों का ये तास्सुर है कि जो बजट आज मिस्टर मुकर्जी ने पार्लीयामेंट में पेश किया है इसके नतीजा में मुल्क इस्लेहात के मुआमला में आगे बढ़ने की बजाय मक़रूज़ होता जाएगा । फ़िलहाल जो आदाद-ओ-शुमार दस्तयाब हैं उन के मुताबिक़ हिंदूस्तान अपने हर रुपये में 29 पैसे क़र्ज़ पर हासिल करता है ।
ये अंदेशे फ़ौरी तौर पर मुस्तर्द नहीं किए जा सकते कि आज के बजट के नतीजा में क़ीमतों में मज़ीद इज़ाफ़ा होगा और महंगाई एक बार फिर बढ़ने लगेगी । मुल्क में ग़िज़ाई अजनास और पैट्रोलीयम अशिया की कीमतों में जो मुसलसल इज़ाफ़ा हो रहा है इसका रास्त बोझ मुल्क के अवाम पर मुंतक़िल किया जा रहा है । मुल्क में अदवियात और दूध जैसी बुनियादी अशिया भी महंगी होती जा रही हैं और पैट्रोल की कीमतों को हुकूमत के कंट्रोल से आज़ाद कर दिया गया है ।
इस तरह कांग्रेस ज़ेर क़ियादत यू पी ए हुकूमत ने आम आदमी के तुएं अपनी बेहिसी का मुज़ाहिरा किया है । उम्मीद की जा रही थी कि बजट में आम आदमी को राहत पहूँचाने काले धन को वापिस लाने और महंगाई पर क़ाबू पाने के लिए मूसिर इक़दामात किए जाएंगे ताहम बजट में हुकूमत की जानिब से ऐसा कोई इशारा नहीं दिया गया है ।
ऐसा लगता है कि वज़ीर फायनेंस मिस्टर परनब मुकर्जी ने हुकूमत की मजबूरियों और मस्लेहतों को ज़हन में रखते हुए ये बजट तैयार किया है और उन्हों ने आम आदमी को इसमें यकसर नज़र अंदाज कर दिया है ।
कांग्रेस ज़ेर क़ियादत यू पी ए हुकूमत ने जिसने आम आदमी को सहूलतें पहूँचाने के वायदे के साथ दूसरी मीआद के लिए इक़तिदार हासिल किया था इस बजट में कहीं भी आम आदमी की मजबूरियों और इस की ज़रूरियात और इसके बजट का कोई ख़्याल नहीं रखा है । मुख़्तलिफ़ शोबा जात के लिए मआशी ज़रूरियात की तकमील के लिए कई ऐसी राहें भी थीं जिन को इख्तेयार किया जा सकता था और कॉरपोरेट घरानों पर क़दरे बोझ आइद किया जा सकता था लेकिन हुकूमत ने कॉर्पोरेट्स को तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम करने और आम आदमी पर बोझ आइद करने को तरजीह दी जिससे हुकूमत की सोच का पता चलता है ।
हुकूमत ने बैरूनी ममालिक में छुपाए गए सियासतदानों और कॉरपोरेट घरानों के काले धन को वापस लाने के ताल्लुक़ से भी इस बजट में कोई तजवीज़ पेश नहीं की है जिसका अवामी सतह पर मुसलसल मुतालिबा किया जा रहा है । क्रप्शन के ख़ातमा के लिए भी मूसिर इक़दामात की बात कही गई है लेकिन ख़ातिरख्वाह मंसूबा पेश नहीं किया गया ।
सारी तवज्जा सिर्फ़ आम आदमी पर बोझ आइद करने पर ही मर्कूज़ की गई है । ब हैसियत मजमूई ये बजट आम आदमी के लिए मुश्किलात वाला ही है ।