हैदराबाद 17 अगस्त: मर्कज़ी वज़ारत फ़रोग़ इन्सानी वसाइल की तरफ़ से तैयार करदा नई तालीमी पालिसी 2016 के मुसव्वदा पर तेलंगाना की मुस्लिम एजूकेशन सोसाइटी ने तशवीश का इज़हार करते हुए कहा कि नई तालीमी पालिसी का मुसव्वदा हिन्दुस्तानी सेक्युलर ममलकत के रूह-ओ-जज़बा और दस्तूर के खिलाफ है क्युं कि इक़दार पर मबनी तालीम के नाम पर कसीर तहज़ीबी हिन्दुस्तानी समाज में एक ( हिंदू ) तहज़ीब को ज़बरदस्ती मुसल्लत करने की कोशिश की जा रही है जो मुसलमानों और दुसरे अब्नाए वत्न के लिए नाक़ाबिले क़बूल है।
मुस्लिम एजूकेशन सोसाइटी ने इस ज़िमन में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के गवर्नर ईएसएल नरसिम्हन से नुमाइंदगी की है और मर्कज़ी वज़ीरे इंसानी वसाइल प्रकाश जावड़ेकर को एक मकतूब रवाना किया है जिसमें नई तालीमी पालिसी के मुसव्वदा से मुसलमानों और दुसरे तबक़ात को तालीमी-ओ-दुसरे शोबों में पहूंचने वाले नुक़्सानात का तज़किरा करते हुए इस पर नज़र-ए-सानी की ज़रूरत पर-ज़ोर दिया।
सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी एमएस फ़ारूक़ की दस्तख़त से जारी इस 15 नकाती मंशूर मुतालिबात में कहा गया है कि नई तालीमी पालिसी से इशारा मिलता है कि हिन्दुस्तानी तारीख़ के बजाये देवमालाई कहानीयों और हिन्दुस्तानी फ़लसफ़ा को हिंदू देवमालाई तनाज़ुर के साथ शामिल किया जाएगा। योगा के लज़ूम के साथ वेदों की तहज़ीब को फ़रोग़ देते हुए तालीम में संस्कृत को आम किया जाएगा। ये चंद एसे पहलू हैं जो किसी भी सूरत में मुसलमानों के लिए काबिल-ए-क़बूल नहीं हो सकते क्युं कि इस में हिंदू क़ौम परस्ती को उजागर किया गया है।
नई तालीमी पालिसी 2016 को अगरचे मयारी तालीम तक सबकी मसावियाना रसाई की कोशिश ज़ाहिर किया गया है लेकिन इस को मौजूदा शक्ल में क़बूल करने की सूरत में इस से ना सिर्फ अक़लियतों को नुक़्सान पहूंचेगा बल्के हिन्दुस्तानी दस्तूर के लिए भी एक संगीन चैलेंज पैदा होगा।