लंदन, 28 मार्च: तालिबान की बंदूक का निशाना बनी पाकिस्तान की बहादुर लड़की मलाला की कहानी छापने के लिए अब ब्रिटेन की विडनफील्ड एंड निकलसन कंपनी ने करीब तीस लाख डॉलर की डील की है। यह कंपनी मलाला की कहानी को आईएम मलाला नाम से शाय करेगी। इस किताब को लंदन से बाहर छापने और फरोख्त करने का जिम्मा ब्राउन कंपनी का होगा। पंद्रह साला मलाला को तालिबान के दहशतगर्दों ने नौ अक्टूबर 2012 को उस वक्त निशाना बनाया था जब वह अपनी सहेलियों के साथ स्कूल से वापस घर आ रही थी।
मलाला ने पब्लिशर्स से हुए इस मुआहिदे के बाद कहा कि यह कहानी सिर्फ एक मलाला की ही नहीं है बल्कि 61 लाख उन लड़कियों की कहानी है जो स्कूल न जा पाने की सूरत में अनपढ़ रह जाती हैं। उसने कहा कि तालीम पर सभी का हक है और इसके लिए लड़की और लड़के में कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। मलाला ने इस बारे में चलाए जा रहे बेदारी मुहिम में अपनी भागेदारी बढ़चढ़ कर निभाने की भी बात कही है।
मलाला ने उम्मीद जताई कि यह किताब छपने के बाद जब पूरे मुल्क में पहुंचेगी तो लोग जान पाएंगे कि आखिर तालीम पाने में लड़कियों को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 2012 में दहशतगर्द हमले में शदीद तौर पर जख़्मी हुई मलाला ने मौत को मात देकर नयी ज़िंदगी पायी है। यह न सिर्फ उसकी बल्कि उसके बुलंद हौसलों की भी जीत है। हालांकि तालिबान अब भी उसके खून के प्यासे हैं। उन्होंने कहा कि क्योंकि वह लड़कियों की तालीम के लिए मुहिम चला रही है इसलिए वह उसके निशाने पर है।
उनका मानना है कि मलाला इस मुहिम् के जरिए पाक में मगरिबी तहज़ीब की तशहीर कर रही है।
साल 2009 में मलाला ने बीबीसी के उर्दू ब्लॉग पर स्वात वादी के वाकियो और वहां की दर्दनाक हालातों का जिक्र किया था। इसके बाद ही वह सुर्खियों में आई थी। उसने स्वात में तालिबान की धमकियों के बाद भी लड़कियों की तालीम के लिए मुहिम बरकरार रखी थी। इससे बौखला कर ही तालिबान ने उस पर जानलेवा हमला कराया था। मलाला का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामज़द किया गया है।