सुप्रीम कोर्ट ने कल बाली वुड ऐक्ट्रीयस मलिका शेरावत के एक केस में वडोदरा की अदालत के हुक्मनामा पर रोक बरक़रार रखा जो दरअसल मलिका शेरावत की जानिब से सात साल पहले मुबय्यना तौर पर एक फ़हश और हैरतअंगेज़ डांस पेश करने के ख़िलाफ़ एक दरख़ास्त के इदख़ाल के बाद किया गया।
जस्टिस बी एस चौहान की क़ियादत वाली एक बंच ने शेरावत की एक दरख़ास्त पर उस मुआमले को नजर पर रखा है। शेरावत गुजरात हाईकोर्ट की जानिब से उन्हें कोई राहत फ़राहम ना किए जाने पर फ़ाज़िल अदालत से रुजू हुई थीं। याद रहे कि जारिया साल 2 मार्च को हाईकोर्ट ने शेरावत की एक दरख़ास्त को रद कर दिया था जिस में उन्होंने ख़ाहिश ज़ाहिर की थी कि 2007 में एक मुक़ामी अदालत की जानिब से उनके ख़िलाफ़ जारी किए गए समंस को ख्त्म किया जाये।
नरेंद्र तेवारी जो पेशे से वकील हैं और बरूडा बार एसोसीएशण (BBA) के सदर भी हैं ने मलिका शेरावत के ख़िलाफ़ उरयानित और हीजानअंगेज़ डांस करने पर एक शिकायत 12 जनवरी 2007 को दाखिल किया था। 31 दिसम्बर 2006 को मलिका शेरावत ने मुंबई के एक पाँच सितारा होटल में नए साल के जश्न के मौके पर उर्यां और हीजानअंगेज़ डांस पेश की थी।