मलॆशिया मैं हमजन्स परस्तों केलिए सख़्त शरई क़वानीन

कुवला लुम्पुर् 13 नवंबर (एजैंसीज़) मलाईशीया में दो रियास्तें ऐसी हैं जहां हमजिंसी की लानत में मुबतला अफ़राद को सज़ाएं देने केलिए इस्लामी शरई क़वानीन में तरमीम मुतवक़्क़े है जिस के बाद हमजिंस परस्त मुस्लमानों को दोगुनी सज़ाऒ का सामना भी करना पड़ सकता है।

इस से ये वाज़िह होजाता है कि मुल्क में हमजिंस परस्ती के ख़िलाफ़ तहरीक में शिद्दत पैदा हो रही है। याद रहे कि मलाईशीया मैं हमजिंस परस्तों को छड़ियों से ज़िद-ओ-कूब करने और 20 साल तक सज़ाए क़ैद का चलन है लेकिन मलिक के मिला का और पहाइंग मज़हबी ग्रुपस ने जिन क़ानूनी तरमीम की मंसूबा बंदी की है, इस से रियास्ती हुकूमत को मज़ीद इख़्तयारात हासिल हो जाएंगी।

अगर तरमीम शूदा शरई क़वानीन का इतलाक़ किया गया तो एक मुस्लमान हमजिंस परस्त को वफ़ाक़ी और रियास्ती दोनों की जानिब से मुस्तौजिब सज़ा क़रार दिया जाएगा जिस का वाज़िह मतलब ये है कि वफ़ाक़ी और रियास्ती दोनों सज़ाऒ का इतलाक़ एक साथ होगा जिस की मीयाद तवील भी होसकती है।

दरीं असना तजज़िया निगारों ने कहा कि हमजिंस परस्ती के ख़िलाफ़ मुजव्वज़ा तरमीम से हुकूमत को भी तआवुन हासिल होगा जहां अक्सरीयत ऐसे मिलाई बाशिंदों की है जो पैदाइशी तौर पर मुस्लमान हैं।

मुल्ला का ग्रुप के सरबराह मुहम्मद अली रुस्तम ने बताया कि हमजिंस परस्त मर्दों और ख़वातीन पर अदालत में मुक़द्दमा चलाकर उन्हें सज़ाए क़ैद या उन पर भारी जुर्माना आइद करने की तजवीज़ भी है।