मलेशिया 18 जनवरी-एशियाई मुल्क मलेशिया अब दुनिया भर में सियाहत के हवाले से मुसलमान दोस्त मुल्क के तौर पर उभर रहा है. एक ताज़ा सर्वे के मुताबिक़ मलेशिया ने मिस्र, तुर्की, मुत्तहेदा अरब इमारात और सऊदी अरब को पीछे छोड़ दिया है।जहां तक शहरों का ताल्लुक़ है तो दुबई ने मलेशिया के दार-उल-हकूमत क्वाला लंपुर को पीछे छोड़ा. उन के बाद इस्तंबोल, जद्दा, सिंगापुर, क़ाहिरा, अबू ज़हबी, नई दिल्ली और दोहा रहे. ये तहक़ीक़ सिंगापुर में मुसलमानों के सफ़री उमूर से मुताल्लिक़ मुशावरती इदारे क्रिसेंट रेटिंग के ईमा पर की गई.।
इस इदारे ने मुख़्तलिफ़ ममालिक को इस पैमाने पर जांचा कि वहां मुसलमान सय्याहों के लिए हलाल खाने और ख़िदमात का किस क़दर बेहतर या ख़राब इंतिज़ाम मौजूद है. मुख़्तलिफ़ ममालिक में सलामती की सूरत-ए-हाल को भी मद्द-ए-नज़र रखा गया और ये अमर भी पेशे नज़र रखा गया कि इन ममालिक के होटलों में हलाल खानों तक रसाई किस क़दर सहल है, इबादत की जगह की सूरत-ए-हाल किया है और मुसलमान मेहमानों के दीगर तक़ाज़े पूरे करने में ये ममालिक किस क़दर कामयाब हैं.।
एक पैमाना तै किया गया, जिस के मुताबिक़ तमाम तर उमूर मद्द-ए-नज़र रखने के बाद एक से लेकर दस तक प्वाईंटस देने का फ़ैसला हुआ. सर्वे में मजमूई तौर पर 50 ममालिक की कारकर्दगी पर ग़ौर किया गया और सब में ज़्यादा 8.3 प्वाईंटस मलेशिया को मिले. दूसरे नंबर पर मिस्र रहा, जिसे 6.7 प्वाईंटस दिए गए, मुत्तेहदा अरब इमारात और तुर्की दोनों का नंबर तीसरा था, उन्हें भी 6.7 प्वाईंटस मिले. सऊदी अरब 6.6 प्वाईंटस के साथ चौथे और सिंगापुर 6.3 प्वाईंटस के साथ पांचवीं नंबर पर रहा. इन मुल्कों के बाद इंडोनेशिया, मराक़श, उरदुन, बरूनाई, क़तर, और उमान, मुसलमान सय्याहों के लिए मुनासिब ठहरे।
क्रिसेंट रेटिंग के चीफ़ ऐगज़ैक्टिव फ़ज़ल बहार उद्दीन ने बताया कि इस सर्वे के लिए मेज़बान ममालिक के बजाय मुसलमान सय्याहों की राय को ज़्यादा एहमीयत दी गई कि उन्हें इस्लामी तक़ाज़ों के मुताबिक़ किन ममालिक में ज़्यादा सहूलयात मोयस्सर रहें।
उन के बाक़ौल मलेशिया का शुमार दुनिया के उन चंद ममालिक में होता है जहां क़रीब हर जगह ही इबादत करने की सहूलत मौजूद है, चाहे वो ख़रीदारी के मराकिज़ होँ या हवाई अड्डा. उन के बाक़ौल मलेशिया के हुक्काम ने बिलख़सूस बाज़ारों में मुसलमानों के लिए सहूलयात की फ़राहमी पर ख़ूब तवज्जा दी है जबकि दुनिया भर में मुसलमानों की सब से ज़्यादा आबादी वाले मुल्क इंडोनेशिया की हुकूमत भी इस क़दर अच्छा इंतिज़ाम नहीं करसकी है।
उन्हों ने बताया कि इंडोनेशिया में मुक़ामी लोगों के लिए हलाल ख़ुराक का मुआमला ज़्यादा संजीदा नहीं लेकिन ग़ैर मुल्की मुसलमानों के लिए हलाल खाना ढूंढना आसान नहीं है. सऊदी अरब को एक सयाहती मंज़िल के तौर पर 2011 में इस सर्वे में शामिल किया गया था क्योंकि मुसलमानों की अक्सरीयत हज या फिर उमरे के लिए इस अरब रियासत का रुख़ करती है. अंदाज़ों के मुताबिक़ 2020 तक मुसलमान सय्याह सालाना बुनियादों पर 192 अरब डालर ख़र्च क्या करेंगे। (ऐजेंसी)