ज़िला करीमनगर तारीख़ी एतबार से बड़ी अहमियत का हामिल है। इस ज़िला मुस्तक़र के क़लब में सरकारी मदरसा क़दीम मल्टी परपज़ हाई स्कूल की हैसियत से तरक़्क़ी करते हुए आज भी अपनी अलेहदा शनाख़्त रखता है। यहां पर कई अज़ीम शख्सियतें और हुक्मराँ गुज़रे हैं। जिन का तारीख़ी सबूत मौजूद है।
चौधवीं सदी में इस का पाया तख़्त यलगुन्दल रह चुका है। आज से सौ साल पहले इस ज़िला कवारेतपल्ली एड़ी पी राला और करी पी राला जैसे मुख़्तलिफ़ नामों से जाना जाता था। सरकारी रेकॉर्ड के मुताबिक़ ज़फ़रुद्दोला के यलगुन्दल क़िलादार के बाद सय्यद करीमुद्दीन क़िलादार थे। उन्ही के दौर में करीम शाह नगर और बाद में करीमनगर के नाम से पुकारा जाने लगा। 28 मई 1905 में हैदराबाद रियासत की जदीद कारी के बाद इस ज़िले को करीमनगर का नाम दिया गया और आसिफ़ जाहि निज़ाम शुशम महबूब अली ख़ान के फ़रमान के मुताबिक़ पाया तख़्त को यलगुन्दल से करीमनगर को मुंतक़िल किया गया।
1930 में बरसर-ए-कार कलेक्टर जनाब लोकेंद्र बहादुर ने इस मदरसे का संगे बुनियाद रखा। उस वक़्त से ये मदरसा मुसलसिल तरक़्क़ी की सिम्त रवां दवां है। इस मदरसे की तामीर 1932 में तकमील को पहूँची। उस वक़्त के कलेक्टर जनाब नईमुद्दीन हंटर ने मदरसे की नई इमारत का इफ़्तिताह किया।
मदरसे के मीनार इस्लामी आर्ट का नमूना हैं। इमारत की अंदरूनी कमानों की ख़ूबसूरती को मुज़य्यन करने के लिए तकरीबन दो साल का अर्सा लगा। मदरसे में हर साल सैकड़ों तलबा तालीम पाते थे। कई माहिर असातिज़ा ने भी इस मदरसे में अपनी ख़िदमात अंजाम देकर उस को चार चांद लगा दिए।
ज़माना क़दीम में इस मदरसे को तहतानिया, आला तहतानिया और फ़ोकानिया के नाम से पुकारा जाता था। 1958 मदरसे को तरक़्क़ी दी जाकर टेक्नीकल कोर्सेस शुरू किए गए। आज ये मदरसा तलबा के लिए कई तरीकों से मुआविन साबित हो रहा है। 1970 में गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज आर्टस के लिए इसी मदरसे के मैदान में जगह फ़राहम की गई।
इस के इलावा सरकारी मदरसे फ़ोकानिया निस्वान के लिए भी अराज़ी फ़राहम की गई। 2001 में DCEB, 2005 में ज़िला साईंस म्यूज़ियम और मदरसा तहतानिया उर्दू मीडियम के लिए भी मदरसे के दामन में जगह फ़राहम की गई। इस मदरसे का हाकी गराउंड शहर का सबसे बड़ा मैदान रखने का एज़ाज़ हासिल किया है।
हज़ारों तलबा इस मदरसे से फ़ारिगुल तहसील होकर आला तरीन मुक़ाम पर फ़ाइज़ हुए। साबिक़ वज़ीरे आज़म आँजहानी पी वी नरसिम्हा राव इसी मदरसे के तालिबे इल्म रह चुके हैं। इस मदरसे से फ़ारोग़ हुए साबिक़ा तलबा में डॉक्टर्स,साईंसदाँ, इंजीनियर्स, पण्डित, तारीख दां, आई ए एस, आई पी एस शामिल हैं।
जिन्होंने मुल्क के लिए बहतरीन ख़िदमात अंजाम दी हैं। ये एज़ाज़ इसी मदरसे को हासिल है। ग्यान पेठ अवार्ड याफ़ता जनाब संगारेड्डी नारायण रेड्डी मौजूदा आर टी सी चीयरमैन सत्या नारायण राव और साबिक़ा वाइस चांसलर काकतीय यूनिवर्सिटी प्रोफेसर जाफ़र निज़ाम साबिक़ा वाइस चांसलर उस्मानिया यूनिवर्सिटी जनाब अनंत स्वामी, साबिक़ा वाइस चांसलर इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, जी राम रेड्डी और साबिक़ा वाइस चांसलर सेंटर्ल यूनिवर्सिटी हैदराबाद सी एच हनुमंत राव ने भी इस मदरसे से दरस हासिल किया।
तेलुगू साहित्य एकेडेमी का चमकता सितारा रवी कुंडल राव, शहर करीमनगर के साबिक़ा मेयर डी शंकर और साबिक़ा डिप्टी मेयर मुहम्मद अब्बास समीआ भी इसी चमन के फूल हैं। मशहूर सयासी रहनुमा जनाब कटारी देवीनर राव, करीमनगर के पहले एम एल ए जनाब वेंकट रामा राव जनाब जीवन रेड्डी साबिक़ा वज़ीर हुकूमत आंध्रा प्रदेश भी इसी मदरसे में तालीम हासिल करके कामयाब हुए।
अज़ीम मुजाहिद आज़ादी तोटापल्ली गांधी जो आज करीमनगर गांधी के नाम से जाने जाते हैं। इज़्ज़त मआब बोइनपल्ली वेंकट रामा राव और कई एक हज़रात इसी इल्म के गुलिस्तां से खिल कर अपने मुल्क का नाम रोशन किए हैं। माहिरीन तालीम जनाब मुद्दो करिशनया, जनाब पार्था सारथी और जनाब शेषाद्रि रमना, जनाब गारुला पाटी तिरूपति रेड्डी, जनाब यामताचारेवलो वगैरह जो आला पाया के लेक्चरर्स गुज़रे हैं इस मकतब में ज़ेरे तालीम रह चुके हैं।
मदरसे की चार दीवारी में तलबा के मुस्तक़बिल को संवारा जाता है। इस की मिसाल और सुबूत के तौर पर हमारा ये मदरसा है। इस मदरसे में सिर्फ़ आला तबक़ा से वाबस्ता तलबा ही नहीं बल्कि गरीब, मज़दूर, किसान ख़ानदानों से ताल्लुक़ रखने वाले तलबा को भी मिसाल और सुबूत के तौर पर हमारा ये मदरसा है। इस मदरसे में सिर्फ़ आला तबक़ा से वाबस्ता तलबा ही नहीं बल्कि गरीब मज़दूर, किसान ख़ानदानों से ताल्लुक़ रखने वाले तलबा को भी तालीम से मुस्तफ़ीद होकर आला मुक़ाम हासिल करने का मौक़ा मिला।
सरकारी-ओ-गैर सरकारी इदारों की जानिब से नए तालीमी इदारों के क़ियाम की बिना पर आज ये मदरसा कई एक मसाइल से दो चार है। इस के बावजूद दूर दराज़ मुक़ामात जैसे महादेव पर, का नार्म, मस्तारुम ही नहीं बल्कि वरंगल, आदिलाबाद, नलगोंडा-ओ-दीगर अज़ला से तिशनगाने इल्म इस मदरसे का रुख़ करते हैं और उन तलबा के मुस्तक़बिल को संवारने में हमारे मदरसे के असातिज़ा नुमायां ख़िदमात अंजाम दे रहे हैं।
मुहतरमा पी भारती सदर मुअल्लिमा और जनाब मुहम्मद अबदुस्सुबहान सिद्दीक़ी, जनाब मुहम्मद इक़बाल अली ने गैर समाजी अनासिर, बद उनवान अफ़राद के गैर इंसानी हरकात से इस क़दीम दरसगाह का तहफ़्फ़ुज़ करने और इस की सरसब्ज़ी-ओ-शादाबी के लिए क़दीम तलबा मदरसे से तआवुन की पुर ख़ुलूस गुज़ारिश की जाती है।