नई दिल्ली,28 जनवरी: (पी टी आई) क़ौमी अक़ल्लीयती कमीशन के सदर नशीन वजाहत हबीबउल्लाह ने कहा कि मसलह फोर्सेस (ख़ुसूसी इख़्तियारात) क़ानून जमहूरीयत और दस्तूर के ख़िलाफ़ है और इस में पाई जाने वाली ख़ामीयों को फ़ौज के साथ मुज़ाकिरात के ज़रीये दूर किया जाना चाहीए।
उन्होंने कहा कि मुतास्सिरा इलाक़ों से अगर इस क़ानून को दस्तबरदार नहीं किया जा सकता तो कम अज़ कम इस में पाई जाने वाली ख़ामीयों को दूर किया जाये। उन्होंने कहा कि किसी भी जमहूरी इदारे में इस तरह के क़ानून का वजूद नहीं होना चाहीए। उन्होंने इस क़ानून में तरमीम के ताल्लुक़ से जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफ़ारिशात पर तबसिरा करते हुए ये बात कही।
उन्होंने कहा कि इस क़ानून में तरमीम ज़रूरी है क्योंकि पुलिस और फ़ौज को ख़वातीन के ख़िलाफ़ जिन्सी जराइम की सूरत में तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम नहीं किया जा सकता। वादीये कश्मीर और शुमाल मशरिक़ी इलाक़ों से इस क़ानून की मंसूख़ी के मुतालिबे पर उन्होंने कहा कि क़ानून की मंसूख़ी का कोई भी फ़ैसला फ़ौज से मुज़ाकिरात के बाद किया जा सकता है।
अगर क़ानून को मंसूख़ ना किया जाये तो कम अज़ कम इस में पाई जाने वाली ख़ामीयों को दूर किया जाये। वजाहत हबीबउल्लाह बहैसीयत सदर नशीन क़ौमी अक़ल्लीयती कमीशन दो साल अनक़रीब मुकम्मल करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि वो कमीशन के तमाम ओहदेदारों का तहफ़्फ़ुज़ यक़ीनी बनाएंगे। गुज़िश्ता चंद माह के दौरान फ़िर्कावाराना तशद्दुद के वाक़ियात पर तबसिरा करते हुए उन्होंने कहा कि फ़िर्कावाराना तशद्दुद के ख़िलाफे क़ानून का मुसव्वदा तैयार है और इस में उन की तजावीज़ भी शामिल हैं।