मसला-ए-कश्मीर की यकसूई केलिए फ़रीक़ैन का शामिल होना ज़रूरी

श्रीनगर

जम्मू कश्मीर के आज़ाद रुकन असेम्बली शेख़ अबदुर्रशीद ने आज कहा कि मसला-ए-कश्मीर की यकसूई केलिए तमाम फ़रीक़ैन का बातचीत में शामिल होना ज़रूरी है। मर्कज़ और रियासत के अलाह‌दगी पसंदों के दरमयान बातचीत के कोई नताइज बरामद नहीं है। अगर मुज़ाकरात के अमल से पहले शराइत रखे जाएं तो बेफ़ैज़ है।

उन्होंने एक बयान में कहा कि पेशगी शराइत के बगै़र और तमाम फ़रीक़ों, हिन्दुस्तान । पाकिस्तान। कश्मीरीयों को शामिल किए बगै़र बातचीत नहीं होसकी। मर्कज़ या रियासत के दरमियान बातचीत का कोई फ़ायदा नहीं है। शेख़ अबदुर्रशीद कल जम्मू में वज़ीर-ए-दाख़िला राजनाथ सिंह के दिए गए बयाना का जवाब दे रहे थे कि अलाह‌दगी पसंदों को सब से पहले रियासती हुकूमत से बातचीत करनी चाहिए इस के बाद मर्कज़ से कोई बात होसकती है।

उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह को ये समझना ज़रूरी है कि नाम निहाद मुज़ाकरात केलिए कश्मीरी हरवक़त क़ुर्बानियां नहीं दे सकते और ना ही वो भीक माँगेंगे। कश्मीर का तनाज़ा हल करना चाहते हैं तो इस केलिए किसी शर्त के बगै़र मुज़ाकरात ज़रूरी हैं। कश्मीर के अवाम समझते हैं कि हकूमत-ए-हिन्द अपनी ज़िद और एतिमाद शिकनी के ज़रिए मुज़ाकरात के अमल को दिरहम बरहम कर दिया है। शोला बयान रुकन असेम्बली ने मज़ीद कहा कि कश्मीर में पाकिस्तानी पर्चम लहराने पर शोर-ओ-गुल करने के बजाय राजनाथ सिंह और इन तमाम अफ़राद को अपना एहतिसाब करना ज़रूरी है कि आख़िर हकूमत-ए-हिन्द कश्मीर में पाकिस्तान केलिए फ़रोग़ पाने वाली मुहब्बत और हमदर्दी को शिकस्त देने से क़ासिर क्यों है|