मसावात की बुनियाद पर हिंद-इराक़ दोस्ती का ऐलान

हिंदुस्तान, इराक़ के साथ मसावात की बुनियाद पर बाहमी ताल्लुक़ात के तेल और पटरो केमीकलस की तलाश के शोबों में मज़ीद खोज‌ का ख़ाहिश्मंद‌ है।

सदर जमहूरिया हिंद परनब मुख‌र्जी ने आज कहा कि हिंदुस्तान इराक़ के साथ अपने ख़ुशगवार और दोस्ताना ताल्लुक़ात पर फ़खर करता है। उन्होंने वज़ीर-ए-आज़म इराक़ नूर अलमालिकी से जो हिंदुस्तान के तीन रोज़ा दौरे पर हैं और सदर जमहूरिया से मुलाक़ात के लिए राष़्ट्र पत्ती भवन आए हुए थे, कहा कि इराक़, हिंदुस्तान को ख़ाम तेल फ़राहम करने वाला दूसरा सब से बड़ा मुल्क बन गया है।

ये शराकतदारी बाहमी मुफ़ादात की और मसावात की बुनियाद पर है। हिंदुस्तान चाहता है कि ख़रीदार। फ़रोख्त कनुंदा के ताल्लुक़ात वसी तर मसावी शराकतदारी पर मुबनी हों ताकि दोनों ममालिक मुशतर्का तौर पर ख़ाम तेल तलाश करसकें, उस की पैदावार में शिरकत करसकें और पटरो केमीकल-ओ-फ़र्टीलाइज़र्स के मुशतर्का कारख़ाने क़ायम करसकें।

सदर जमहूरिया के बयान में जो राष़्ट्र पत्ती भवन से जारी किया गया है, परनब मुख‌र्जी ने कहा कि मुफ़ाहमत की मुख़्तलिफ़ याददाश्तों पर वज़ीर-ए-आज़म इराक़ के दौरे के मौक़ा पर दस्तख़त से एक इदारा जाती चौखटा क़ायम होगा ताकि दोनों ममालिक के दरमयान तआवुन में इज़ाफ़ा किया जा सके।

सदर जमहूरिया ने कहा कि हिंदुस्तान, इराक़ की तरक़्क़ी में शराकतदार(साझेदारी) की हैसियत से अपना किरदार अदा करने का पाबंद है और जब भी इराक़ तामीर जदीद और तामीर-ए-नौ की कोशिश करेगा, हिंदुस्तान उस में शामिल रहेगा। हिंदुस्तानी सनअत कार और हिंदुस्तानी सनअतें इराक़ से गहरी दिलचस्पी रखती हैं।

वज़ीर-ए-आज़म इराक़ ने कहा कि दोनों ममालिक के दरमयान शराकतदारी (साझेदारी) बाहमी मुफ़ाद की बुनियाद पर है क्योंकि हिंदुस्तान को तवानाई की ज़रूरत है और इराक़ को सरमाया कारी की ताकि अपने अवाम को रोज़गार फ़राहम करसके। वज़ीर-ए-आज़म इराक़ ने गर्मजोश रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करते हुए कहा कि हिंदुस्तान और इराक़ दोस्ताना ममालिक हैं और अपने ताल्लुक़ात के मजबूती और आला सतही मुआहिदों के ख़ाहिशमंद हैं।

वज़ीर-ए-आज़म इराक़ ने कहा कि हिंदुस्तान और इराक़ एक दूसरे की ज़रूरियात की तकमील(पूरा) करते हैं। उन्होंने जमहूरियत के हिंदुस्तानी तजुर्बा की सताइश(तारीफ) करते हुए कहा कि दुनिया भर में उसे तस्लीम(मान) किया जाता है। इराक़ को हिंदुस्तान के तजुर्बा से बहुत कुछ सीखना है।

सदर जमहूरिया ने कहा कि दोनों ममालिक के ताल्लुक़ात बाबुल की तहज़ीब के दौर से क़ायम हैं। जो एक अज़ीम तहज़ीब थी। हिंदुस्तान से हर साल नजफ़ अश‌रफ़ और करबला की ज़यारत के लिए कसीर तादाद में ज़ाइरीन इराक़ का सफ़र करते हैं। इराक़ में जमहूरियत के फ़रोग़ पर दोनों ममालिक के ताल्लुक़ात के एक नए दौर का आग़ाज़ होगया है।