मसीहा बन के जो लूट लेते हैं ………… तीसरी क़िस्त

क्या कम कीमत में मिलने वाली दवाएं गैर मोस्सर, कम असरदार या मुज़िर सेहत होती हैं ?

पिछली रिपोर्ट से ये बात वाज़ेह होगई कि ब्रांडेड ओर जेनेरिक दवाओं में असर के एतबार से कोई फ़र्क़ नहीं होता ,मगर अगर आप डाक्टर से सवाल करें तो ज़्यादा तर डॉक्टर्स उसे मेयार और कवालेटी का मसला क़रार देंगे । यहां ये वज़ाहत ज़रूरी है कि अगर हम निसबतन कम कीमत वाली या जेनेरिक दवाएं खरीदते हैं तो क्या ये दवा महंगी दवाओं के मुक़ाबले में गैर मोस्सर ,कम असर या मुज़िर-ए-सेहत (नुक्सान्दह)साबित होसकती हैं? जी नहीं!

क्यों के ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1945 के तहत ख़राब और ग़ैर मयारी दवाओं की तय्यारी एक काबिल-ए-सज़ा जुर्म है।ताहम जेनेरिक दवाएं खरीदने के मुआमले में इस क़दर एहतियात ज़रूरी है जिस से आप नक़ली दवाओं से बच सकें ।अलमीया ये है कि नक़ली दवाओं की तय्यारी रोकने में अमरीका की तरह हिंदूस्तान में को ईइंतिज़ाम नहीं है।

अब सवाल ये है कि आम आदमी ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं में तफ़रीक़ कैसे करे । ओर ये कि हुकूमत इस सिलसिले में कुछ कर रही है या नहीं ? तो वाज़ेह रहे कि हुकूमत ने इस सिलसिले में अपनी कोशिशों का आग़ाज़ करदिया है मगर उसकी ये कोशिशें दीगर सरकारी शोबों की तरह कछुवे की चाल का शिकार है।

ज़ेरे नज़र तस्वीर में आप जीवन धारा नामी मैडीकल स्टोर देख सकते हैं जो के उस्मानिया हॉस्पिटल के अहाते में ओपी बलॉक के मुक़ाबिल मौजूद है।जीवन धारा के नाम से मौसूम इस मैडीकल स्टोर में सिर्फ़ जेनेरिक दवाएं दस्तयाब हैं ।जहां आप अपनी दवाओं के बिल पर 25 ता 90% बचत कर सकते हैं।

फ़िलहाल ये जीवन धारा मैडीकल स्टोर उस्मानिया हॉस्पिटल के इलावा गांधी हॉस्पिटल में मौजूद है ।ए पी हेलत मैडीकल हाउज़िंग एंड इनफ़रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन (PHMH&IDC ) के साबिक़ ओहदेदार मिस्टर जे एस राउ के मुताबिक़ ,मज़कूरा मराकिज़ पर फरोख्त की जाने वाली दवाएं रैनबैक्सी ,सिपला,वाकहरड, मियाँ काइंड और बयो कम जैसी कंपनीयों की तैय्यार करदा होती हैं।

उनके मुताबिक़ जीवन धारा से मौसूम ये मराकज़ तजुर्बाती तौर पर चिलाए जा रहे हैं जिन्हें बाद अज़ां रियासत के दीगर मुक़ाम पर भी वुसअत दी जाएगी । बाक़ौल उनके इन मराकिज़ पर341 अहम तरीन दवाओं को एम आर पी कीमत पर 30 ता 85% डिस्काउंट पर फरोख्त की जा रही हैं।मज़कूरा दवाओं में 85 फ़ीसद दवाएं इसी हैं जिन का ताल्लुक़ बी पी ,शूगर,और बुख़ार के ईलाज से हैं और जो बाज़ार में महंगी कीमत में दस्तयाब हैं।

मिसाल के तौर पर BP केलिए मशहूर दवा Attenol 50 mg (दस टाबलेट) बाज़ार में 32.50रुपये में दस्तयाब है मगर जीवन धारा पर यही दवा (दस टाबलेट) दस रुपये में दस्तयाब है।इसी तरह असलू पैरा बाज़ार में 45 रुपये में फरोख्त होती है जबकि यही दवा जीवन धारा पर4 फ़ीसद डिस्काउंट के साथ सिरफ़ में फरोख्त की जाती है।

वाज़ेह रहे 2010 में जब इस प्रोग्राम का आग़ाज़ किया गयाथा ,उस वक़्त इसमंर सिर्फ़ 202 दवाएं शामिल थीं,मगर अब इसमें 341 दवाएं शामिल करली गई हैं जिस मेंमज़ीद इज़ाफ़ा का इमकान है। हैरत की बात ये हैकि इसतरह के मैडीकल स्टोर के क़ियाम के बाद ड्रग माफिया की नींदें हराम होगई हैं उन्हें लगता है कि अगर ऐसी स्टोरस अवामी सतह पर मक़बूल होगईं तो उनकी लूट खसूट पर क़दगण(रोक) लग जाएगा।

जैसा कि गांधी हॉस्पिटल में जीवन धारा स्टोर क़ायम होने पर पराईवेट मैडीकल स्टोर के मालिक ने उसके ख़िलाफ़ अदालत में अर्ज़ी दाख़िल करते हुए जीवन धारा के ख़िलाफ़ इस इस्तिदलालके साथ हुक्म इलतिवा ले आया कि अगर इस हॉस्पिटल के अहाते में जीवन धारा स्टोर क़ायम होगया तो मरीज़ों की अक्सरियत उसी स्टोर से दवाएं खरीदना शुरू कर देगी चूँकि इसमें रियायती शरह पर दवाएं फरोख्त की जाती हैं ,

और इस तरह दीगर मैडीकल स्टोर के मालकीन को सख़्त माली नुक़्सान का सामना करना पड़ेगा। बताया जाता है कि यहां के ख़ानगी मैडीकल स्टोर और गांधी हॉस्पिटल मिली भगत की वजहा से ये मुक़द्दमा दायर किया गया मगर मिस्टर सिया माला राउ ,मैनिजिंग डायरैक्टर ए पी एम एस आई डी सी,और जीवन धारा के जनरल मैनेजर मिस्टर उदे भास्कर की मुख़लिसाना कोशिशों के सामने मुख़ालिफ़ीन अपने मक़सद में नाकाम होगए ।

ज़रूरत इस बात की है कि अवाम ज़्यादा से ज़्यादा जेनेरिक दवाओं पर ही तवज्जह दें और अपने डॉक्टर्स को भी जेनेरिक दवाइं लिखने पर मजबूर करें।जब तक अवाम बेदार नहीं होंगे ,ड्रग माफिया अनहें यूंही लूटते रहेंगे…. (जारी है)