डाइग्नॉस्टिक सेंटर्स जहाँ कमीशन की वजह से 500 का टेस्ट1000 में होता है
अब वो दिन गए जब हुकमा-ए-और डॉक्टर्स नब्ज़ पकड़ कर या चेहरा देख कर मर्ज़ भाँप लेते थे , फिर डॉक्टर्स का बरताव भी इस क़दर मुशफ़िक़ाना हुआ करता था कि डाक्टर को देखते ही मरीज़ की आधी बीमारी दफ़ा होजाती थी ।
उस वक़्त के डाक्टर कमर्शियल नहीं होते थे । मरीज़ की माली हालत के लिहाज़ से फीस लिया करते थे गरीब मरीज़ों की मुफ़्त तशख़ीस करते थे और अपने पास से मुफ़्त दवाएं देते थे । मगर अब सब कुछ बदल गया है । हॉस्पिटल्स और डिसपेंसरीज़ में माल कल्चर घुस आया है , मरीज़ डॉक्टर्स से ज़्यादा मशीनों के हवाले कर दीए गए हैं ।
डॉक्टर्स मिनटों में मरीज़ों के मुआइना कररहे हैं और फिर सर के बाल से पाउं के नाख़ुन तक टेस्ट कराए जाते हैं।अलमीया ये है कि जिस्म के अलग अलग हिस्से के स्पैशलिस्ट और माहिर-ए-अमराज़ …कहे जाने वाले यानी ख़ुद को Specialist और माहिर अमराज़ फ़ुलां कहने वाले डॉक्टर्स भी इसी मर्ज़ से ताल्लुक़ रखने वाले किसी मर्ज़ का ईलाज बगैर टेस्ट के करने की अहलियत नहीं रखते या क़सदन(जान बूझ कर) करना नहीं चाहते ।
एक लेयाब टेक्नीशियन जो शहर के एक डाइग्नॉस्टिक में बरसर-ए-कार हैं ,के मुताबिक़,किसी भी टेस्ट की कीमत में इज़ाफ़ा की 90% वजह डाक्टरों का वो कमीशन होताहै जो हर डाइग्नॉस्टिक सेंटर्स मालकीन की जानिब से उन्हें अदा किया जाता है।
अपनी शनाख़्त ज़ाहिर ना करने की शर्त पर मज़कूरा टेक्नीशियन ने सियासत को बताया कि शहर का शायद ही कोई एसा लेयाब और डाइग्नॉस्टिक सेंटर्स हो जो उनके पास मरीज़ भेजने की वजह से डाक्टरों को कमीशन ना अदा करते होँ।
यही वजह है कि जिस टेस्ट की असल कीमत 200 रुपये होती है वो कमीशन और दीगर वजूहात के सबब 400 ता 500 रुपये में किया जाता है ।उनके मुताबिक़,दरअसल सरकारी सतह पर टेस्ट लेयाब की सख़्त कमी है और जो पराईवेट लेयाब सेंटर्स हैं इन सेंटर्स की निगरानी का कोई इंतिज़ाम नहीं है ,
चूँकि डिस्ट्रिक्ट मैडीकल एंड हेल्थ ऑफीसर(DMHO) किसी भी डाइग्नॉस्टिक सेंटर्स का सिर्फ़ ,रजिस्ट्रेशन ,और सैंकशन करने का ही इख़तियार रखता है ,उस की निगरानी करने या टेस्ट फीस मुक़र्रर करने का उसे कोई इख़तियार नहीं है।
उनका कहना था कि अगर डॉक्टर्स चाह लें तो सिर्फ़ अपनी फीस की आमदनी से (जो रोजाना हज़ारों में होती है) ऐश-ओ-इशरत और ख़ुशहाली की ज़िंदगी गुज़ार सकते हैं,
मगर डाक्टरं की अक्सरियत ने दवासाज़ कंपनीयों,मैडीकल स्टोरस ,और डाइग्नॉस्टिक सेंटर्स के ज़रीया कमीशन के हुसूल का एक एसा जाल बिछा रखा है जिस से बचना शायद किसी के लिए मुम्किन नहीं ……जारी है।