‘मस्जिदे अक्सा’ का मुद्दा हमारा अपना विवाद, समाधान के लिए हमें खुद को बदलना होगा: मौलाना मोहम्मद रहमानी मदनी

नई दिल्ली: पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक बार इब्ने उमर (रजी) अन्हुमा का कंधा पकडा और कहा कि इस नश्वर दुनिया में अजनबियों और यात्रियों की तरह जीवन गुज़ारो.

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उसी कारण इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते थे कि तुम अगर सुबह कर लो तो शाम का इंतजार मत करो और शाम कर लो तो सुबह का इंतजार मत करो और अपनी बीमारी के दिनों से पहले अपनी फिटनेस और मौत से पहले अपने जीवन में कुछ करलो. उन विचारों का व्यक्त अबुल कलाम आजाद इस्लामिक अवेकिंग सेंटर, नई दिल्ली के अध्यक्ष श्री मौलाना मोहम्मद रहमानी सनाबली मदनी ने दक्षिण दिल्ली के मुख्य ईदगाह जामिया इस्लामिया सनाबिल, नई दिल्ली के मैदान में हजारों मुसलमानों को संबोधित करते हुए किया।
मौलाना रहमानी ने फ़रमाया यह दुनिया नश्वर है और इंसान बहुत कमजोर और लाचार है यही कारण है कि अल्लाह ने दुनिया को धोखा उपकरण करार दिया है, आदमी तो इतना लाचार है कि दिन के समय में एक छोटा सा पदार्थ मच्छर उसे काट लेता और वह युवा होने के बावजूद डेंगू की ताब न लाकर दुनिया से विदा हो जाता है, इंसान की मिसाल पानी के बुलबुले की तरह है यह कब मर जाए उसे नहीं पता और मौत जब आती है तो यह नहीं देखती कि कोंसे बच्चे कितने छोटे हैं और किसकी शादी को कितने दिन हुए हैं, मौत जब आती है तो व्यक्ति को दबोच कर अस्पताल तक ले जाती है और कभी कभी वह स्वस्थ होकर घर वापस भी आ जाता है लेकिन इसके बाद भी उसे मौत दबोच लेती है। इसलिए मनुष्य को अपने कमजोरी और तथ्य से अनजान नहीं रहना चाहिए, यह हर वक़्त मौत और इसके बाद अल्लाह से मिलने के लिए तैयार रहना चाहिए।
मौलाना ने मस्जिदे अक्सा, फिलिस्तीन और दुनिया के अन्य क्षेत्रों के खराब हालात के संदर्भ में भी मुसलमानों से धर्म को अपनाने की अपील की और कहा कि यह सारी मुसीबतें हमारी व्यावहारिक कोताही का नतीजा हैं। मौलाना ने फिलिस्तीन के इतिहास के हवाले से कहा कि एक समय में यहूदियों ने ईसाइयों के खिलाफ ईरानियों को फिलिस्तीन में इस्तेमाल किया था लेकिन इस्लाम और अहले इस्लाम ने हमेशा वहाँ शालीनता का परिचय दिया। खिलाफते राशदा में उमर (रजी) ने अपने गुलाम से बारी तय करके फ़िलिस्तीन की जीत के अनुबंध के लिए कूच किया तो वह खुद पैदल चलते और गुलाम की बारी पर उसे सवारी पर बैठाते, खिलाफत उम्विया और अब्बसिया में भी मुसलमानों ने शालीनता का सबूत दिया. 492 (हिज) में ईसाइयों ने फिलिस्तीन पर नाजायज़ क़ब्ज़ा कर फिर से शरातें और हत्या शुरू कर की। 1149 इ में सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने पूरी शालीनता के साथ शांति व सलामती के लिए फिलिस्तीन को फ़तह किया. फिर बर्तानिया के एक यहूदी आयुक्त ने 1920 के बाद से वहाँ यहूदियों को बसाना शुरू कर दिया ताकि मुसलमान डूब जाएं और 1948 ई में अमेरिका, बरतानिया और रूस ने कुछ ही मिनटों के भीतर इस तानाशाह सरकार को स्वीकार कर लिया जबकि वे स्कूली बच्चों तक को मार डालते हैं। मौलाना ने कहा कि यह अत्याचार बंद होना चाहिए और शांति व सलामती का बोलबाला होना चाहिए और ‘मस्जिदे अक्सा’ का मुद्दा हमारा अपना विवाद है इसके समाधान के लिए हमें खुद को बदलना होगा.