फ़लस्तीन के सरकर्दा आलिमे दीन और मस्जिदे अक्सा के ख़तीब अल शेख़ यूसुफ़ अस्सलीम ने कहा है कि बैतुल मुक़द्दस हमारे दीन और ईमान का हिस्सा है, इस पर सियासत बाज़ी और कोई समझौता करने का सवाल ही पैदा नहीं हो सकता।
अल शेख़ अस्सलीम ने मस्जिदे अक्सा में जुमा के इजतिमा से ख़िताब करते हुए फ़लस्तीनी अवाम से अपील की कि वो मस्जिदे अक्सा को आबाद रखें। उन्हों ने कहा कि बैतुल मुक़द्दस और अंदरून फ़लस्तीन के जिस जिस फ़लस्तीनी पर नमाज़ फ़र्ज़ है, उस पर जुमा की नमाज़ मस्जिदे अक्सा में अदा करना वाजिब है।
उन्हों ने कहा कि फ़लस्तीनी अवाम अपने दिन रात के औक़ात में से कुछ वक़्त क़िबला अव्वल के दिफ़ा के लिए ज़रूर निकालें ताकि हमारे इस मुक़द्दस मुक़ाम को नापाक सीहूनियों के हाथों लाहक़ ख़तरात का तदारुक किया जा सके।
अल शेख़ अस्सलीम का कहना था कि तमाम आसमानी मज़ाहिब और मुआसिर आलमी क़्वानीन मुक़द्दस मुक़ामात के दिफ़ा और तहफ़्फ़ुज़ की हिमायत करते हैं। फ़लस्तीन में मुसलमानों का तीसरा मुक़द्दस तरीन मुक़ाम इस वक़्त नापाक यहूदीयों के क़दमों तले रौंदा जा रहा है।
जबकि सन 1999 में सलामती कौंसिल और अक़वामे मुत्तहिदा की एक कमेटी वाज़ेह क़रारदाद मंज़ूर कर चुकी है जिस में बैतुल मुक़द्दस के तमाम मुक़द्दस मुक़ामात की हिफ़ाज़त को यक़ीनी बनाने की हिमायत की गई है।
उन्हों ने कहा कि बैतुल मुक़द्दस के मुक़द्दस मुक़ामात की मुसलसल बेहुर्मती इलाक़ाई और आलमी अमन की सलामती के लिए भी संगीन ख़तरा है। उन्हों ने कहा कि मस्जिदे अक्सा का तहफ़्फ़ुज़ और उसे आबाद रखना हर मुसलमान की ज़िम्मेदारी है। इस ज़िमन में तमाम को अमली इक़दामात करना चाहीए।