मस्जिदे नबवी में क्यूँ रोज़ेदारों का माथा चूमता है यह नौजवान, जानें !

रियाद: मस्जिद हराम और मस्जिदे नबवी सहित हिजाज़ ए मुक़द्दस की सभी बड़ी मस्जिदों में महीने सयाम के दौरान रोज़ेदारों के लिए सामूहिक इफ्तार का बेहद ईमानदारी और मरूत के साथ एहतमाम किया जाता है। इफ्तार के इन्तेजाम में युवा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते और रोज़ेदारों को सेवा समर्पित कर उन्हें हर सुविधा प्रदान करते हैं।

अल अरबिया डॉट नेट के अनुसार मस्जिद नबवी में एक ऐसे ही युवा का वीडियो फुटेज इंटरनेट पर तेजी से लोकप्रिय हो रही है जिसे रोज़ेदारों की पेशानी को चूमते दिखाया गया है। यह युवा कौन है और एसा क्यों करता है? इस सवाल का जवाब वह अपने शब्दों में बयान करता है।

रोजेदारों की इफ्तार में मदद करने और इफ्तार के लिए आने वाले रोज़ेदारों की पेशानी को चूम कर कुरान की तकरीम करने वाले ये स्वयंसेवक युवा मुहम्मद इब्राहीम हैं। उनका कहना है कि रोज़ेदारों की पेशानी को चूम कर दिल्ली संतुष्टि और खुशी प्राप्त करता हूँ। इससे मेरे दिल को ठंडक मिलती है और दिल की शांति और खुशी महसूस होती है।मोहम्मद इब्राहीम की रोज़ेदारों की पेशानी को चुंबन देने की वीडियो तेजी के साथ इंटरनेट पर फैल रहा है और लोगों ने उसे असाधारण हद तक सराहा है।

मोहम्मद इब्राहिम मस्जिद नबवी में रोज़ेदारों के सेवा की जिम्मेदारी हरम नबवी के इमाम अल शेख अब्दुल मोहसिन की ओर से दी गई है। अल शेख अब्दुल मोहसिन भी मोहम्मद इब्राहीम के इस अनोखी प्रक्रिया से प्रभावित हैं और उन्होंने इब्राहीम से रोज़ेदारों को इफ्तार मेज पर लाने की प्रेरणा देने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई है वह अपनी तरह की पहला वाकिया है।

खुद मोहम्मद इब्राहीम से जब पूछा गया कि रोज़ेदारों की पेशानी चुंबन देने की पृष्ठभूमि क्या है तो उनका  कहना है कि ‘केवल दिल्ली खुशी और संतुष्टि’। उनका कहना है कि मुझे इस बात से कोई उद्देश्य नहीं सोशल मीडिया पर मेरे बारे में लोग किस तरह के विचार व्यक्त कर रहे हैं। मेरा ध्यान केवल रोज़ेदारों को मेज पर लाने, उन्हें बैठाने और इफ्तार में उनकी मदद करना है।

मस्जिद नबवी में रोज़ेदारों की इफ्तार कोई नई नहीं बल्कि दशकों पुरानी और सुंदर परंपरा है। स्थानीय नागरिक इस परंपरा को न केवल जीवित रखे हुए हैं इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

उन्होंने कहा कि केवल स्थानीय नागरिक ही नहीं बल्कि मदीना में स्थित अन्य देशों के नागरिक और परिवार भी इफ्तार के दौरान रोज़ेदारों मदद और उनकी सेवा को अपने लिए इनाम का स्रोत मानते हैं।