मस्जिदे हराम में 81 हज़ार मुरब्बा मीटर पर नमाज़ अदा नहीं की जा सकेगी

ख़ादिमुल हरमैन शरीफ़ैन शाह अबदुल्लाह बिन अब्दुल अज़ीज़ की हिदायत पर शुरू कर्दा मस्जिदे हराम का तौसीई मंसूबा अपने दूसरे मरहले में दाख़िल हो गया है। दूसरे मरहले के तामीराती काम के दौरान अगले एक साल तक मस्जिदे हराम में 81 हज़ार 567 मुरब्बा मीटर की जगह पर नमाज़ की अदाई और ज़ाइरीन की आमदो रफ़्त नहीं हो सकेगी। ये जगह सिर्फ़ तामीराती मेटेरियल, मशीनरी और मंसूबे पर काम करने वाले कारकुनों के लिए मुख़तस होगी।

अल अर्बिया के मुताबिक़ जब से मस्जिदे हराम और मस्जिदे नबवी के निगरां इदारे की जानिब से तामीराती मंसूबे के तसलसुल और उस की तकमील के बाद बैतुल्लाह में ज़्यादा से ज़्यादा ज़ाइरीन की गुंजाइश का मुज़्दा सुनाया गया है समाजी राबते पर उसे बड़े पैमाने पर सराहा गया है।

समाजी कारकुनों ने ज़ाइरीन की सहूलत और दिलचस्पी के लिए मस्जिदे हराम का तीन रंगों सबज़, ज़र्द और सुर्ख़ पर मुश्तमिल एक नक़्शा भी जारी किया है जिस में रंगों की मदद से बताया गया है कि मस्जिद के किस हिस्से में नमाज़ की इजाज़त है? कहाँ जुज़वी आमदो रफ़्त हो सकती है और किस मुक़ाम पर जाने से मना किया गया है। तवक़्क़ो है कि तौसीअ हरम का ये हिस्सा आइन्दा साल मौसमे हज से क़ब्ल पाए तकमील को पहुंच जाएगा।