गुलबर्गा। सामाजिक विशेषज्ञों का कहना है कि मुसलमानों के समाधान में मस्जिदें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। सामाजिक विशेषज्ञों के अनुसार मस्जिद के स्तर पर सर्वेक्षण करके मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का सही आंकलन किया जा सकता है और फिर इस से जरूरतमंदों को सरकारी इस्कीमात से लाभान्वित किया जा सकता है।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार गुलबर्गा में आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में उन तीन बातों पर चर्चा की गई। इंडिया बैतूलमाल नामक संगठन ने गुलबर्गा में यह कार्यक्रम आयोजित किया था। संगठन के ज़िम्मेदारों के अनुसार कल्याणकारी कार्यों की सही दिशा में भुगतान और उसके बेहतर परिणाम प्राप्त करना इस कार्यक्रम का उद्देश्य है।
सामाजिक विशेषज्ञों ने कहा है कि मुसलमानों के कल्याण और उनके विकास के लिए कई एक दल, संगठन अपनी अपनी स्तर पर सक्रिय हैं, इसके बावजूद जमीनी स्तर पर पर्याप्त नतीजे नहीं हो रहे हैं। उनके अनुसार मुसलमानों के पास ठोस रणनीति नहीं होने और भूजल स्तर की मूल तथ्य से भी ठोस परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं।
सामाजिक विशेषज्ञों का कहना है कि मुसलमानों के कल्याण के लिए पहले समस्याओं की पहचान और फिर उसके समाधान के लिए रणनीति और फिर इसके कार्यान्वयन के तरीके को बनाया जाना चाहिए। सामाजिक विशेषज्ञों के अनुसार मस्जिदों के स्तर पर काम करने से बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं।