मस्जिद में क़ुरआन मजीद की बेहुर्मती, हुक्काम की सर्दमहरी

तारीख़ी शहर मुँगेर में जुमा को उस वक़्त हालात बेक़ाबू हो गए जब ये ख़बर शहर में आम हुई कि कलक्ट्रेट मुँगेर से एक किलो मीटर के अंदर वाक़्य मुहल्ला दलहटा (मुग़ल बाज़ार) की तारीख़ी मस्जिद में दरवाज़ा तोड़ कर शरपसंदों ने क़ुरआन मजीद और मसला जला दिया, मस्जिद के अंदर का पंखा तोड़ दिया।

इस मस्जिद के इमाम क़ारी मुहम्मद शाकिर ने बताया कि जब हम और हमारे साथी जुमा की नमाज़ के लिए वहां पहूंचे तो हैरतज़दा रह गए। दरवाज़ा टूटा हुआ था, मस्जिद में दाख़िल हुए तो हर तरफ़ क़ुरआन मजीद के औराक़ बिखरे हुए थे, क़ुरआन बक्स मिंबर के पास है और क़ुरआन मजीद जला हुआ है।

इसके पारे भी मेम्बर पर जले हुए हैं। ये देख कर फ़ौरन लोगों को इत्तेला दी गई और मौलाना मुहम्मद वली रहमानी सज्जादा नशीन ख़ानक़ाह रहमानी को इत्तिला दी गई। उन्होंने जब अए डी जी पी बिहार अभ्यानंद जी से बात की। पुलिस के आला हुक्काम वहां पहूंचे लेकिन इन तमाम सच्चाई को छिपाने की कोशिश की जा रही है कि मस्जिद में आग लगाई गई।

क़ुरआन मजीद को जलाया गया और वाक़्या को चोरी की तरफ़ मोड़ने की कोशिश की जा रही है। अफ़सोस कि बात है कि जामा मस्जिद मुँगेर के इमाम क़ारी अबदुल्लाह बुख़ारी भी वाक़्या की तसदीक़ के लिए मस्जिद पहूंचे और क़ुरआन मजीद को जला हुआ पाया मगर अख़बारात और ज़बानी ब्यान में ये कहा कि वहां क़ुरआन मजीद नहीं जलाया गया बल्कि कुछ काग़ज़ात जलाए गए।

जबकि शाम को डी ऐम मुँगेर जनाब कुलदीप नारायण ने प्रेस के रूबरू वाज़िह किया कि मस्जिद को नुक़्सान हुआ है और क़ुरआन मजीद जलाया गया है लेकिन अबदुल्लाह बुख़ारी, डाक्टर मुनाज़िर हसन और जदयू लीडर मुहम्मद सलमान ने मुस्लमानों को गुमराह करने वाला ब्यान दिया और कहा कि मस्जिद और क़ुरआन को कोई नुक़्सान नहीं हुआ।

बी जे पी लीडर राजेश जैन और दूसरे लीडरों ने अपनी आँखों से जाय वक़ूअ को देखा और जब वहां से हटे तो मुतनाज़ा तब्सिरा किया। जिस पर अवाम ने हंगामा किया और उन की गिरफ़्तारी का मुतालिबा किया। पुलिस हुक्काम ने वायदा किया कि दो घंटों में ख़ातियों को गिरफ़्तार कर लिया जाएगा मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

क़ारी शाकिर ने बताया कि 1992 के फ़साद के बाद ये मस्जिद वीरान हो गई थी जिसे कई साल क़ब्ल हज़रत मौलाना वली रहमानी और मुक़ामी लोगों के तआवुन से इसकी मुरम्मत का काम लाल बाबू (साबिक़ वार्ड) कमिशनर और मास्टर मुहम्मद बशर गुलज़ार पोखर की निगरानी में अंजाम पाया है।