मस्नूई रेशों के कपड़े से आबी आलूदगी

कैलीफोर्निया, ३० जनवरी (एजैंसीज़) तहक़ीक़ के दौरान दुनिया के अठारह साहिलों से पानी के नमूने हासिल किए गए एक ताज़ा तहक़ीक़ से पता चला है कि मस्नूई मुरक्कबात से तैयार शूदा कपड़ों की धुलाई के दौरान उन से ख़ारिज होने वाले प्लास्टिक के इंतिहाई बारीक जर्रात समुंद्रों में जमा हो रहे हैं और ये जर्रात ग़िज़ाई चक्र में शामिल हो सकते हैं।

तहक़ीक़कारों ने समुंद्र् में मिलने वाले प्लास्टिक के इन बारीक जर्रात का मंबा भी तलाश किया है जो उन के मुताबिक़ मस्नूई मुरक्कब से तैयार होने वाले कपड़े हैं।तहक़ीक़कारों का कहना है कि सिंथेटिक या मस्नूई मुरक्कब से तैयार होने वाले कपड़े हर धुलाई में फ़ी लिबास एक हज़ार नौ सौ बारीक फाइबर जर्रात ख़ारिज करते हैं।

इस से पहले की तहक़ीक़ से मालूम हुआ था कि इंसानी ज़िंदगी में प्लास्टिक की मसनूआत के बेतहाशा इस्तिमाल की वजह से एक मिलीमीटर से भी छोटे प्लास्टिक के जर्रात जानवरों की ख़ुराक में शामिल हो रहे हैं और उन के ज़रीये ग़िज़ाई चक्क्र को आलूदा कर रहे हैं।इस तहक़ीक़ में शामिल यूनीवर्सिटी आफ़ कैलीफोर्निया सांता बारबरा के माहौलियाती माहिर मार्क ब्राउन ने कहा है कि इस से पहले की तहक़ीक़ से ये इन्किशाफ़ हुआ था कि हमारे माहौल में प्लास्टिक की जो आलूदगी है इस का 80 फ़ीसद प्लास्टिक के ऐसे ही मामूली जर्रात से पैदा होता है।

इन के बाक़ौल इसी इन्किशाफ़ से उन के ज़हन में ये मालूम करने का ख़्याल आया कि ये आलूदगी प्लास्टिक के किस किस्म के जर्रात से जन्म ले रही है और ये जर्रात हमारे माहौल में आते कहां से हैं।मिस्टर ब्राउन ने कहा कि प्लास्टिक के ये इंतिहाई मामूली जर्रात परेशानी का बाइस हैं क्योंकि शवाहिद बताते हैं कि ये जर्रात हमारे ग़िज़ाई चक्क्र में अपना रास्ता बना रहे हैं।

उन्हों ने बताया कि जब कोई जानवर ये प्लास्टिक खाता है तो हज़म के अमल से गुज़रने के बाद ये जर्रात उन के जिस्म के ख़लीयों में जगह बना लेता है।तहक़ीक़कारों ने ये जानने केलिए प्लास्टिक के ये मामूली जर्रात किस हद तक हमारे समुंद्रों में मौजूद हैं, हिंदूस्तान , बर्तानिया और सिंगापुर समेत दुनिया के 18 साहिलों से पानी के नमूने हासिल किए।

मिस्टर ब्राउन ने बताया कि किसी भी नमूने में ऐसा नहीं था कि जिस में प्लास्टिक के ये मामूली जर्रात मौजूद ना हो।