नई दिल्ली 21 अक्टूबर: (आमिर अली ख़ान) इफ़रात-ए-ज़र को तशवीश का मुआमला क़रार देते हुए वज़ीर-ए-आज़म के मआशी पैनल के चेयरमैन सी रंगा राजन ने आज कहा कि महंगाई पर बहुत जल्द क़ाबू पाया जाएगा।
आने वाले चंद महीनों में क़ीमतों की शरह भी एतिदाल पर आएगी। अच्छे मानसून के बाइस ग़िज़ाई अजनास की दस्तयाबी में इज़ाफे़ से महंगाई पर क़ाबू पाया जा सकता है। यहां इकनॉमिक एडीटरस की कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए रंगा राजन ने कहा कि मेरा ईक़ान है कि इस हफ़्ते भी इफ़रात-ए-ज़र में इज़ाफ़ा हो सकता है लेकिन ये बादअज़ां गिरावट की तरफ़ आएगा।
मैं समझता हूँ कि अच्छे मानसून के बाइस ग़िज़ाई अजनास की दस्तयाबी से महंगाई घटेगी। तक़रीबन 6 माह के अंदर ग़िज़ाई इफ़रात-ए-ज़र बढ़ कर 10.60 फ़ीसद हो जाएगा। जबकि सितंबर में इफ़रात-ए-ज़र की शरह 9.72 थी। मआशी तरक़्क़ी के इमकानात पर पूछे गए सवालात का जवाब देते हुए वज़ीर-ए-आज़म के मआशी मुशावरती कौंसल के चेयरमैन रंगा राजन ने कहा कि पैदावार की शरह साल 2011-12 के दौरान 8 फ़ीसद रहेगी।
जैसा कि क़ब्लअज़ीं तख़मीना लगाया गया था कि ये शरह 8.2 फ़ीसद होगी। वज़ीर-ए-आज़म के मआशी मुशावरती कौंसल ने जुलाई 2011-ए-में शरह पैदावार का निशाना 8.2 फ़ीसद मुक़र्रर किया था। लेकिन इस में बेहतरी के लिए कई इक़दामात करने होंगे।
हमें तो का है कि जारीया साल शरह पैदावार तक़रीबन 8 फ़ीसद रहेगी। ज़रई पैदावार भी अंदाज़े से बढ़ कर मुस्तहकम और मज़बूत होगी। उन्हों ने कहा कि सनअती पैदावार की शरह में कमी आई है। जब कि सरवेस सैक्टर की शरह पैदावार ना कम ना ज़्यादा बल्कि हसब-ए-साबिक़ बरक़रार है।
ख़सारे से मुताल्लिक़ सी रंगा राजन ने कहा कि हुकूमत के लिए ये सब से अहम ज़िम्मेदारी है कि वो अंदरून-ए-मुल्क पैदावार का तख़मीना 4.6 फ़ीसद को बरक़रार रखी। ख़ासकर जब वो बजट बराए 2011-12 पेश करे तो इस में अंदरून-ए-मुल्क पैदावार का तख़मीना दरुस्त रखा जाये।