महंगा पैट्रोल,नाप में कमी और नक़ली ऑयल से अवाम परेशान !

हैदराबाद। 3 जनवरी (ख़ुसूसी रिपोर्ट) एक एसे वक़्त जबकि हमारे मुल्क में पैट्रोल दीगर ममालिक के मुक़ाबले में ना सिर्फ महंगा फ़रोख़त होरहा है बल्कि आए दिन उसकी कीमतों में इज़ाफ़ा कर दिया जा रहा है एसे मे ज़रूरी हो जाता है कि हम पैट्रोल खरीदने के हवाले से इंतिहाई मुहतात रवैय्या इख़तियार करें और ये जानने की कोशिश करें कि पैट्रोल केलिए हम जितनी कीमत अदा करते हैं आया वाक़ई एस के मुताबिक़ हमारी गाड़ी में इतना ही पैट्रोल डाला जाता है यह नहीं ?

आख़िर हमें कैसे इस बात का इलम हो कि हमारी गाड़ी में पैट्रोल कम डाला गया है? और जो ऑयल डाला गया है वो अदा की गई रक़म के मुताबिक़ है ? या फ़िर ये कि हम पंप पर पैट्रोल डालने वाले मुलाज़मीन के हाथ की सफ़ाई से किस हद तक महफ़ूज़ हैं ? वो कौनसे एहतियाती इक़दामात होसकते हैं जिसे इख़तियार करते हुए हम पैट्रोल के हवाले से होने वाली धोका दही से बहुत हद तक महफ़ूज़ रह सकते हैं ?

इन्ही सब सवालों के जवाबात चंद एसे अफ़राद से मालूम करने की कोशिश की गई जिन में से एक पैट्रोल पंप का साबिक़ मुलाज़िम है जबकि माबक़ी दो अफ़राद शहर के एक पैट्रोल पंप पर बरसरे कार हैं। मज़कूरा अफ़राद ने अपनी शनाख़्त मख़फ़ी रखने की शर्त पर सियासत को बताया किबाअज़ पैट्रोल पंप पर होने वाली हाथ की सफ़ाई का अंदाज़ा एस बात से लगा यह जा सकता है कि वहां सिर्फ फ़ाज़िल आमदनी दो ता ढाई हज़ार रुपय यौमिया होती है जिसमें पैट्रोल पंप मुलाज़मीन के इलावा पंप के मालकीयन का भी हिस्सा होताहै।

इसके वजूहात का तज़किरा करते हुए उन्हों ने कहा कि शहर में बहुत कम एसे पैट्रोल पंप हैं जहां मुलाज़मीन को मुनासिब तनख़्वाहें दी जाती हैं , वर्ना उमूमन पंप पर काम करने वाले मुलाज़मीन की तनख़्वाहें 1000 ता 2000 रुपय से ज़ाइद नहीं होती, जबकि उन से एक दिन आड़ एक दिन 24घंटे की ड्यूटी ली जाती है। बाक़ौल उनके यही वो अहम सबब है जिसकी वजह से पंप मुलाज़मीन धोका दही के मुर्तक़िब होते हैं।

एक सवाल कि जवाब में उन्हों ने बताया कि ,अगर कोई ग्राहक आधा या एक लीटर पैट्रोल या डीज़ल तलब करता है तो उसे देते हुए फ़ौरन दूसरे ग्राहक से कितना डालना है पूछते हैं और कोशिश की जाती है कि उसे बातों में उलझा कर मीटर को न्यूटल किए बगैर ही पंप नोज़ल ऑयल टैंक में डाल दिया जाय ,उनके मुताबिक़ आम तौर पर ग्राहक जलदी में होताहै और वो मीटर पर 0 है या नहीं देखने के बजाय पैसे अदा करके चला जाता है, मगर इस तरह उसी वक़्त किया जाता है जब औक या दो लीटर के बाद कोई ग्राहक पाँच दस लीटर से ज़ाइद तलब करे,वर्ना नहीं ।

दूसरा सब से अहम तरीका , पैट्रोल को एक यह दो प्वाईंट कम डालना है ,मसलन किसी ने 100रुपय का पैट्रोल तलब किया तो उसे 99.41 ता 99.52 रुपय का ही पैट्रोल डाला जाता है जबकि मीटर पर सेल रेट 100रुपय शो करता है । इसी तरह यहां पर भी औसतन 0.50 पैसे की बचत की जाती है। तीसरा और सब से महफ़ूज़ आमदनी का ज़रीया फ़ी लीटर बचने वाला चिल्लर पैसा है, यानी मौजूदा कीमत 73.08 फ़ी लीटर के बजाय राउंड फीगर 74 या 73.50रुपय लीटर वसूल किया जाता है जिस पर ग्राहक को भी कोई एतराज़ नहीं होता और इस तरह फ़ी लेटर 0.92 या 40पैसे की बचत होती है ।

अब अगर किसी पंप पर यौमिया औसतन तीन ता चार हज़ार लीटर पैट्रोल फ़रोख़त होताहै तो गोया वहां 1800 ता 2400 रुपय सिर्फ़ ग्राहक के ज़रीया छोड़े गए चिल्लर पैसों से हासिल होताहै। ये पूछे जाने पर कि पैट्रोल हासिल करने का महफ़ूज़ तरीका क्या होसकता है , तो उन्होंने कहा कि सब से महफ़ूज़ तरीका तो किसी डिब्बे में वगैरह में लेना होताहै ताहम हर कोई डिब्बा लेकर नहीं फिरता लिहाज़ा एसे अफ़राद को चाहीए कि वो लीटर फिक्स करने के बजाय मीटर पर रेट फिक्स किराए , यानी आप उन से पैट्रोल की मिक़दार के बजाय ये कहीं कि मुझे 100,50,30 ,300,(जितनी ज़रूरत हो) रुपय का पैट्रोल मीटर फिक्स करके दो

एसा करने की सूरत में उसे मीटर को हरहाल में नेवटल करना होगा। वाज़ेह रहे कि हर पैट्रोल पंप पर एक और पाँच लीटर का माप मौजूद होताहै जिस पर रियासती हुकूमत के महिकमा ओज़ान-ओ-पैमाइश का महर होताहै ताकि मिक़दार पर शक होने की सूरत में मापा जा सके । एक और सवाल के जवाब में उन्हों ने बताया कि आम तौर पर हैदराबाद के पैट्रोल पंप पर पैट्रोल में मिलावट नहीं होता , ताहम अगरशक होतो वाटर फ़ाइंडिंग पेस्ट या फिल्टर पेपर टेसट जो तकरीबन हर पैट्रोल पंप पर मौजूद होताहै ,के ज़रीया पैट्रोल में पानी यह ग़ियास तेल वगैरह की मिलावट का पता चलाया जा सकता है।

मज़कूरा अफ़राद ने ताहम एक बात यक़ीन के साथ कहा कि ज़्यादा तर पैट्रोल पंप पर फ़रोख़त किए जाने वाले ऑयल नक़ली होते हैं , उनके मुताबिक़ मुताल्लिक़ा कंपनी पैट्रोल में डालने केलिए जो ऑयल भेजती है उसे कहीं और भेज कर एस के चंद डिब्बों को शोकेश में रख दिया जाता है ताकि मुताल्लिक़ा महिकमा की जानिब से चेकिंग होने की सूरत में पेश किया जा सके जबकि ग्राहक को जो ऑयल फ़राहम किया जाता है उमूमन नक़ली होता है और एस के डिब्बे पैट्रोल पंप के बजाय कहीं और रखे जाते हैं।

बहरहाल शहर के अवाम ने कमिशनर सिविल स्पलाईज़ ऑफीसर हरप्रीत सिंह ,डि एस ओ , और चीफ रासनिग ऑफीसर से मुतालिबा किया है कि मज़कूरा मुआमलात के इंसिदाद केलिए फ़ौरी तौर पर तवज्जा देते हुए अवामको राहत पहुंचाएं।