हैदराबाद 5 फ़रवरी- हर साल हुकूमत आंध्र प्रदेश की जानिब से तेलुगु, अंग्रेज़ी और उर्दू में डायरीयां शाए करवाई जाती हैं और उन डायरियों में मुख़्तलिफ़ शोबों में रियासत की तरक़्क़ी का एक सरसरी जायज़ा भी लिया जाता है। साथ ही हुकूमत आंध्र प्रदेश के तमाम वज़ारतों, मह्कमाजात के वी ब साईट्स फ़ोन नंबरात, फैक्स नंबर्स, पत्ते भी शाए करवाए जाते हैं।
इस के इलावा मुख़्तलिफ़ ज़बानों के अख्बारात और रसाइल, ख़बररसां एजेंसीयों, सरकारी दवाख़ानों, अहम ख़ानगी हॉस्पिटलों, आई बैंक्स , ए पी पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, पोस्ट ऐंड टेलीगराफ़ के दफ़ातिर मी सेवा सेंटर्स एम्बुलेंस , सयाहती मराकज़, ब्लड बैंक्स , आर टी सी, इमरजेंसी ख़िदमात, पुलिस कंट्रोल रुम, बलदिया, एयर लाइन्स , फ़ायर सर्विसेज , रेलवी ग़रज़ हर वज़ारत हर महकमा और हर इदारे की तफ़सीलात आप को इस सरकारी डायरी में मिलती हैं,
लेकिन अफ़सोस के के साथ कहना पड़ता है कि महकमा अक़लीयती बहबूद के तहत जितने भी मह्कमाजात काम कर रहे हैं उन के सरबराहों ज़िम्मेदारों और सेक्रेट्रीज को इस बात की ख़बर ही नहीं कि हुकूमत ने आंध्र प्रदेश डायरी उर्दू में भी शाए की है।
हम ने महकमा अक़लीयती बहबूद से वाबस्ता तमाम इदारों बाशमोल आंध्र प्रदेश उर्दू एकेडमी, आंध्र प्रदेश स्टेट वक़्फ़ बोर्ड, आंध्र प्रदेश अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन, स्पेशल ऑफीसर महकमा अक़लीयती बहबूद और सब से बढ़ कर वज़ीरे अक़लीयती बहबूद से सिर्फ़ एक सवाल किया कि आया रियास्ती हुकूमत ने इस साल आंध्र प्रदेश डायरी उर्दू में शाए करवाई है? बड़े अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है कि तमाम के तमाम ने नफ़ी में जवाब दिया।
इन अहम अक़लीयती मह्कमाजात के आला ओहदों पर फ़ाइज़ शख़्सियतों और ओहदेदारों को इस बात का तक पता नहीं कि हुकूमत किया कर रही है। सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड ने बताया कि उन्हें भी अंग्रेज़ी डायरी ही मिली है।
इस सवाल का जवाब देने की जब नायब सदर नशीन और मैनेजिंग डायरेक्टर अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन जनाब मुहम्मद अब्दुल वहीद की बारी आई तब उन्हों ने भी ला इलमी का इज़हारकिया और कहा कि उन्हें भी अंग्रेज़ी डायरी मिली है।
उन्हों ने कहा कि कम अज़ कम रियास्ती महकमा अक़लीयती बहबूद के तहत काम करने वाले मह्कमाजात को उर्दू डायरी रवाना की जानी चाहीए थी। सदर नशीन रियास्ती हज कमेटी सैयद ख़लील उद्दीन अहमद ने हमारे सवाल का नफ़ी में जवाब दिया।
स्पेशल ऑफीसर महकमा अक़लीयती बहबूद श्रीनिवास मूर्ती से बात की। इन बेचारों ने भी ला इलमी का इज़हार किया। काश महकमा अक़लीयती बहबूद के तहत काम करने वाले मह्कमाजात और इदारों के ज़िम्मेदार और हुकूमत के दरमयान ताल मेल बेहतर होता तो कितना अच्छा होता । (नुमाइंदा खुसूसी)