बिहार के 12 जिलों में तूफान ने भयानक तबाही मचायी, लेकिन एक कड़वा सच यह है कि इसे रोक पाना हमारे बूते की बात नहीं है। पटना के मौसम महकमा को आफत की इत्तिला देनेवाला एक डॉप्लर रडार तो है लेकिन इसकी कैपेसिटी सिर्फ 200 किमी तक की ही है। सीमांचल में एक रडार रहता, तो लोगों की जान बच सकती थी।
पटना में मौसम महकमा के पास सिर्फ एक डॉप्लर रडार है जिसकी कूवत पूर्णिया तक पहुंचने की नहीं है। साथ ही कोलकाता के डॉप्लर रडार की कैपसिटी भी पूर्णिया तक पहुंचने की नहीं है। पूर्णिया में भी किसी आफत की इत्तिला देनेवाला मशीन ही नहीं है। मौसम साइंस महकमा का भी कहना है कि पटना वाकेय रडार की कैपसिटी दो सौ किमी से ज़्यादा की नहीं है। ऐसे में वह पूर्णिया या 200 किमी दूर वाली जगहों पर किसी तूफान या फौरन घटने वाली आफत की जानकारी नहीं दे सकता है। मरकज़ी हुकूमत की हिदायत में काम करने वाला मौसम साइंस महकमा के डाइरेक्टर एके सेन ने भी माना कि तूफान की इत्तिला देने में नकामयाबी के लिए डॉप्लर रडार की कैपेसिटी ही जिम्मेदार है। आफत महकमा ने तूफान से 54 लोगों की मौत होने की तसदीक़ की है।
दरभंगा में तूफान की इत्तिला देने की बात पर मौसम साइंस महकमा के डाइरेक्टर मिस्टर सेन ने कहा वे 21 अप्रैल को ही अलर्ट जारी कर चुके थे। महकमा ने आफत मैनेजमेंट इंतेजामिया महकमा को 50-60 किलोमीटर की रफ्तार वाले तूफान की जानकारी दी थी। सेन ने कुबूल किया कि हमने 50-60 किलोमीटर की रफ्तार वाली तूफान की इत्तिला दी थी, पर वह 80 से एक सौ किलोमीटर की रफ्तार वाला मुक़ामी तूफान था। आफत इंतेजामिया महकमा के प्रिन्सिपल सेक्रेटरी व्यास जी ने कहा कि उन्हें 50-60 किलोमीटर की रफ्तार की इत्तिला मिली थी। इससे इतनी बड़ी तबाही की खद्शा नहीं होती है।
मौसम साइंस महकमा के डाइरेक्टर एके सेन ने कहा कि दरभंगा या पूर्णिया में तूफान जिसे काल वैशाखी के नाम से जाना जाता है, इसका इमकान ज़्यादा से ज़्यादा तीन घंटे पहले ही मिल पाता है। इतने कम वक़्त में किसी महकमा को मौसम साइंस महकमा की तरफ से इत्तिला देना मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि खत के जरिये से आफत इंतेजामिया महकमा समेत तमाम मुतल्लिक़ महकमा को कह दिया गया है कि वे मौसम साइंस महकमा की वेबसाइट देखते रहें। इसके लिए मौसम साइंस महकमा फी 20 मिनट की मुद्दत में बादल या दीगर तब्दील की तसवीर वेबसाइट पर अपडेट करता रहता है।