महफ़ूज़ ज़ुमरा (रिजर्व कोटा) के बाअज़ आज़मीन मुश्किलात का शिकार

आंधरा प्रदेश रियास्ती हज कमेटी और रियास्ती वज़ीर-ए-क़लीयती बहबूद जनाब मुहम्मद अहमद उल्लाह रियासत आंधरा प्रदेश के इन चंद मासूम चुनिंदा मुंख़बा आज़मीन-ए-हज्ज की ख़िदमत में भी नाकाम हैं जिन के इंतिख़ाब को मर्कज़ी हज कमेटी की जानिब से बाअज़ मामूली बातों को बुनियाद बनाते हुए कल अदम क़रार दिया गया है।

झूटा हलफनामा दाख़िल करने वाले दरख़ास्त गुज़ारों के इंतिख़ाब को कलअदम क़रार देते हुए उन की जानिब से जमा करदा पहली क़िस्त की रक़म की क़रक़ी पर आंधरा प्रदेश रियास्ती हज कमेटी की ख़ामोशी और महिकमा अक़ल्लीयती बहबूद की ख़ामोशी बजा है लेकिन आंधरा प्रदेश से ताल्लुक़ रखने वाले बाअज़ मुंख़बा ख़ानदान ऐसे भी हैं जिन की मामूली गलतीयां उन के इंतिख़ाब के कलअदम क़रार दिए जाने का सबब बन रही हैं।

बाअज़ गलतीयां तो ख़ुद हज कमेटी की हैं। । रियास्ती हज कमेटी में मौजूद एक ओहदेदार को अपने तबादला की फ़िक्र लाहक़ है तो उन के मातहत ओहदेदार को आज़मीन के मसाइल के हल से ज़्यादा अरसा-ए-दराज़ से जिस इज़ाफ़ी ज़िम्मेदारी की गै़र क़ानूनी तौर पर इज़ाफ़ी तनख़्वाह हासिल कर रहे हैं उसे मुस्तक़िल करवाते हुए क़ानूनी शक्ल देने की फ़िक्र लाहक़ है।

इन आज़मीन के लिए नाकाम नुमाइंदगीयाँ और लेटर रवाना करने के बजाय कमेटी या वज़ारत डट जाय तो उन आज़मीन का मसला हल किया जा सकता है।