तेलंगाना के पहले चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्र शेखर राव ने महमूद अली और राजिया को डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर्स के ओहदे पर फ़ाइज़ करते हुए अपने एक अहम वादेकी तकमील करदी।
टीआरएस सरबराह की हैसियत से के चन्द्र शेखर राव ने एलान किया था कि तेलंगाना रियासत के वजूद में आने के बाद एक मुस्लिम और एक दलित लीडर को डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर मुक़र्रर किया जाएगा।
इस तरह महमूद अली तेलंगाना के पहले मुस्लिम डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर बन गए हैं। क़ब्लअज़ीं मुत्तहदा रियासत आंध्र प्रदेश में इस ओहदे पर किसी भी मुस्लिम को मुक़र्रर नहीं किया गया था अलबत्ता माज़ी में नवाब मीर अहमद अली ख़ान मुत्तहदा रियासत के पहले मुस्लिम वज़ीर-ए-दाख़िला रहे थे।
बादअज़ां 1978 में एम चन्ना रेड्डी ने एक और मुस्लिम क़ाइद एम एम हाशिम को वज़ीर-ए-दाख़िला मुक़र्रर किया था। तेलुगु देशम के बानी एन टी रामा राव ने बहैसीयत चीफ़ मिनिस्टर अपनी काबीना में बशीर-उद-दीन बाबू ख़ान को एक मर्तबा वज़ीर भारी मसनूआत और दूसरी मर्तबा वज़ीर-ए-आला तालीम जैसी अहम वज़ारतों पर फ़ाइज़ किया था।
उन से हट कर दुसरे चीफ़ मिनिस़्टरों ने मुसलमानों को सिर्फ़ औक़ाफ़ या अक़लियती बहबूद की वज़ारतों तक महिदूद रखा था। यहां ये बात काबिल-ए-ज़िकर हैके महमूद अली ना सिर्फ़ पहले मुस्लिम डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर हैं बल्कि चीफ़ मिनिस्टर केसीआर के बाद काबीना में दूसरा सीनीयर मुक़ाम उन्ही को दिया गया है और रेवेंयू का अहम वज़ारती क़लमदान भी महमूद अली को तफ़वीज़ किया गयाहै।
महमूद अली अनवार उल-उलूम कॉलेज के कॉमर्स ग्रैजूएट हैं और एक कामयाब बिज़नेसमैन भी रहे हैं। उन्होंने 2001में टीआरएस में शिरकत की थी और 2013 में रुकन क़ानूनसाज़ कौंसिल बनाए गए थे। वो के चन्द्र शेखर राव के क़रीबी और बाएतेमाद रफ़ीक़ कार समझे जाते हैं। महमूद अली टीआरएस पोलीट ब्यूरो के रुकन भी हैं।