महाराष्ट्र कांग्रेस में नाराज़गियों से शिवसेना लुत्फ़ अंदोज़

मुंबई

सदर प्रदेश कांग्रेस से तक़र्रुत पर इख़तेलाफ़ात पार्टी का वतीरा नहीं

अशोक चौहान और संजय नरोपम को महाराष्ट्र और मुंबई का अली उल-तरतीब सदर बनाने पर कांग्रेस के अंदर पैदा होने वाली नाराज़गियों से लुत्फ़ अंदोज़ होते हुए शिवसेना ने तन्क़ीदी तौर पर कहा कि इन तक़र्रुत के ख़िलाफ़ पार्टी के अंदर नाराज़गीयाँ इस बात का सबूत हैं कि कांग्रेस में कोई इस्तेहकाम नहीं है।

पार्टी के उसोलों के मुग़ाइर है। पीर के दिन ए आई सी सी की जानिब से नए बी सी सी सरबराहों के तक़र्रुर के फ़ौरी बाद कांग्रेस के सीनियर लीडर नारायण राणे ने अपने तहफ़्फुज़ात का इज़हार किया था और कहा था कि पार्टी हाईकमान ने इन तक़र्रुत के ताल्लुक़ से रियासती क़ाइदीन से कोई मुशावरत नहीं की है।

संजय नरोपम को लोक सभा इंतेख़ाबात में बदतरीन शिकस्त के बाइस नाराज़गी का सामना है। उन्हें सिटी कांग्रेस यूनिट का सरबराह मुक़र्रर किया गया। दूसरी जानिब नारायण राणे को जिन्हें कोंकण ख़ित्ता में बदतरीन नाकामी हुई है। पार्टी का कोई नहीं दिया गया। आख़िर अशोक चौहान और संजय नरोपम का रियासत के अहम ओहदों पर तक़र्रुर करने में क्या उजलत थी। उनकी रियासत की सियासत में कोई एहमियत नहीं है।

इन तक़र्रुत के ख़िलाफ़ पार्टी के अंदर नाराज़गीयाँ भी कांग्रेस की सियासी तहज़ीब के मुताबिक़ नहीं है। शिवसेना के तर्जुमान सामना में ऐडिटोरीयल लिखते हुए सिन्हा ने कहा है कि कांग्रेस अपने क़ाइदीन को ख़ुश करने के बजाय नाराज़ कररही है। आदर्श हाओज़िंग अस्क़ाम के बाइस ही अशोक चौहान को चीफ़ मिनिस्टर की हैसियत से इस्तीफ़ा देना पड़ा था लेकिन अब उन्हें कांग्रेस का अहम ओहदा दिया गया है। इस से ज़ाहिर होता है कि कांग्रेस सिर्फ़ बद उनवान क़ाइदीन का साथ दे रही है।