मुंबई
नए क़ानून की असल तारीख़ पर हुकूमत से मुंबई हाइकोर्ट की वज़ाहत तलबी
बंबई हाइकोर्ट ने महाराष्ट्र तहफ़्फ़ुज़ हैवानात (तरमीमी) क़ानून के नफ़ाज़ की असल तारीख़ के बारे में आज वज़ाहत तलब की है। इस नए क़ानून के तहत नरगौ (बैल और खलगों) के ज़बीहा पर भी पाबंदी आइद की गई है।
जस्टिस वी ऐच कनाडे और जस्टिस ए आर जोशी ने हुकूमत महाराष्ट्र को कल जवाब दाख़िल करने की हिदायत की, जिस में ये वाज़िह सर अहित की जाये कि आया किस तरह से नया क़ानून नाफ़िज़-उल-अमल हुआ है।
ये वज़ाहत उस वक़्त तलब की गई जब एक सीनियर ऐडवोकेट यूसुफ़ मछाला ने मुंबई सब अर्बन बीफ डीलर्स वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ़ से रुजू होते हुए दावा किया कि हुकूमत की जानिब से आलामिया की इजराई से पहले ही पुलिस ने बीफ डीलर्स और ताजरीन के क़बज़े से मवेशीयों को ज़ब्त करलिया था।
ऐडवोकेट मछाला के मुताबिक़ हाइकोर्ट ने भारतीय गोवंश रुख्शना संवर धान परिषद की तरफ़ से मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त दायर करते हुए क़ानून के नफ़ाज़ की दरख़ास्त की थी जिस पर अदालत ने सिटी पुलिस कमिशनर और शहरी इदारे के सरबराह को नर गौ के ज़बीहा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की हिदायत की थी।
मछाला ने इस्तिदलाल पेश किया कि बीफ डीलर्स एसोसिएशन की जानिब से इस क़ानून के ख़िलाफ़ बंबई हाइकोर्ट से रुजू होने के दो दिन बाद हुकूमत ने कहा था कि उसने सरकारी गज़्ट में हनूज़ आलामीया जारी नहीं किया है, सिर्फ़ 9 मार्च को हुकूमत ने अदालत को मतला किया था कि आलामीया जारी कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि लेकिन 3 मार्च के हुक्मनामा के बाद ही पुलिस ने बीफ डीलर्स से मवेशी ज़ब्त करलिया था। अगर आलामीया जारी नहीं किया गया था तो पुलिस भी कार्रवाई नहीं करसकती थी। उनके इस इस्तिदलाल पर अदालत ने हुकूमत से तारीख़ के बारे में वज़ाहत तलब की है।