नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में महाराष्ट्र में डांस बार पर लगी पाबंदी हटा दी है. कोर्ट ने जुमेरात\ के रोज़ इससे जुड़े रियासत में लगे कानून को होल्ड कर दिया. आपको बता दें कि पिछले साल जून में कांग्रेस-एनसीपी हुकूमत ने महाराष्ट्र पुलिस एक्ट लागू करके यह बैन लगाया था. इंडियन होटल और रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी थी.
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस प्रफुल्ल चंद्र पंत की बेंच ने इस मामले में अदालती निज़ाम के पस मंज़र और इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस कानून में की गयी तरमीम का जिक्र करते हुये कहा कि ‘हम महाराष्ट्र पुलिस (दूसरी तरमीम ) कानून की दफा 33 (ए) (1) के नियमो पर रोक लगाना मुनासिब समझते हैं.’ इसके साथ ही अदालत ने अपने आखिरी हुक्म में एक शर्त भी लगा दी और रियासत में लाइसेंसिंग हाकिम (Authorities) को बार और दूसरे मुकामात पर अश्लील डांस के मुज़ाहिरों को कंट्रोल में करने की भी इज़ाज़त दी.
बेंच ने कहा कि, ‘हालांकि, हम शर्त भी लगा रहे हैं कि डांस मुज़ाहिरा के दौरान किसी भी तरह की अश्लीलता नहीं होगी. लाइसेंसिग हाकिम ऐसे डांस मुज़ाहिरे को कंट्रोल कर सकते हैं ताकि मुज़ाहिरा करने वाली खातून के वक़ार को किसी तरह की ठेस नहीं पहुंचे.’ आली अदालत ने इस तरमीम को लेकर इंडियन होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन की दरखास्त आखिरी सुनवाई के लिए पांच नवंबर को दर्ज़ कर दी और कहा कि इसी मसले से मुताल्लिक मामले में यह अदालत 2013 में पहले ही फैसला कर चुकी है.
महाराष्ट्र सरकार की ओर से एडिश्नल सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई शुरू होते ही कहा कि एसोसिएशन को आखिरी राहत दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि कानून में 2014 की तरमीम अलग किस्म का है. रियासत की हुकूमत ने बंबई पुलिस कानून में 2005 में तरमीम किया था जिसे रेस्तरां और बार की नुमाइंदी करने वाली तंज़ीम ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
डांस बार पर पहली बार बैन 2005 में लगाया गया था, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था. अप्रैल 2005 में लगाए गए पहले बैन के बाद करीब 1.5 लाख लोग बेरोजगार हो गए थे. इनमें से 70 हजार बार गर्ल्स भी थीं. सुप्रीम कोर्ट ने उस वक्त इस फैसले को लेकर डबल स्टैंडर्ड की तंकीद करते हुए कहा था कि सिर्फ छोटे होटलों के लिए ही रोक लगाई गई है, जबकि फाइव स्टार और थ्री स्टार होटलों पर पाबंदी नहीं लगाई गई.